वियाग्रा बेचते मुंबई में धराये फर्जी ‘अमेरिकन’ 

रैकेट का पुणे कनेक्शन भी उजागर
पुणे। समाचार ऑनलाइन – मुंबई पुलिस ने ऐसे ही एक गिरोह का पर्दाफाश किया है जो अमेरिकन बनकर वियाग्रा बेचने की आड़ में ठगी करते थे। पकड़े गए सभी आरोपी भारतीय हैं, पर अमेरिकी कस्टमर्स से बात करने के लिए उन्होंने अपने अमेरिकन नाम रख लिए थे। शाहरुख अंसारी नामक आरोपी केविन और जुनैद अंसारी जेम्स के नाम से कॉल करता था। इनका कॉल सेंटर मुंबई के कुर्ला उपनगर में था, पर अमेरिकी कस्टमर समझता था कि उसे अमेरिका से कॉल आ रहा है। उन्होंने अपने सिस्टम में इस तरह का सॉफ्टवेयर डाला हुआ था कि अमेरिका में कॉल रिसीव करने वालों को अमेरिकन नंबर दिखता था। जांच में पता चला है कि ये सारे अकाउंट्स नंबर पुणे का एक व्यक्ति मैनेज करता था। वह ही अकाउंट्स में आए डॉलर्स को भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट करता था, पुणे का यह आरोपी फ़िलहाल फरार है।
मुंबई क्राइम ब्रांच के अनुसार, ठगी के रैकेट से जुड़े लोग मुंबई में एक कॉल सेंटर से जुड़े हुए थे। इनमें से आठ आरोपियों को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया। शुक्रवार को किला कोर्ट ने इन सभी को 6 नवंबर तक कुर्ला क्राइम ब्रांच की कस्टडी में भेज दिया। एसीपी नेताजी भोपले और सीनियर इंस्पेक्टर अशोक खोत की टीम ने इनके पास से 11 हार्ड डिस्क, 1 सर्वर, 12 मोबाइल फोन, वाई-फाई राउटर व अन्य सामान जब्त किया है। इन लोगों के पास उन अमेरिकी लोगों की पूरी लिस्ट थी, जो गूगल में सेक्स बढ़ाने वाली मेडिसिन वायग्रा व अन्य दवाएं सर्च करते थे। फिर ये इन अमेरिकी ग्राहकों को कॉल करके सस्ते रेट पर दवा देने का ऑफर देते थे। गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस को बताया कि 150 वायग्रा को 100 डॉलर में, 350 को 200 और 500 वायग्रा को 250 डॉलर में बेचने का अमेरिकियों को लॉलच दिया जाता था। जब सामने वाला तैयार हो जाता था, तो उसे एक बैंक अकाउंट नंबर दिया जाता था और उसमें रकम ट्रांसफर करने को कहा जाता था।
रैकेट का पुणे कनेक्शन
जांच में पता चला है कि ये सारे अकाउंट्स नंबर पुणे का एक व्यक्ति मैनेज करता था। वह ही अकाउंट्स में आए डॉलर्स को भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट करता था। पुणे का ही यह वॉन्टेड आरोपी अमेरिकी ग्राहकों के संपर्क नंबर ‘स्पीड टेक्नॉलजी’ नामक कॉल सेंटर के मैनेजर इकरामा नासिर मुकादम को भेजता था। जांच में यह भी पता चला है कि पुणे के इस आरोपी के सिर्फ एक अकाउंट में ही 66 हजार 298 डॉलर ट्रांसफर हुए। क्राइम ब्रांच उसके अन्य बैंक खातों की भी जांच कर रही है। जिन अमेरिकियों ने वायग्रा व अन्य दवाओं के ऑर्डर दिए, उन्हें कभी कोई दवा भेजी ही नहीं गई। आरोपियों के वकील अजय उमापति दुबे ने इन गिरफ्तारियों का यह कहकर विरोध किया कि इस केस में कोई भी शिकायतकर्ता नहीं है। उन्होंने कोर्ट में मुंबई क्राइम ब्रांच से पूछा कि यदि अमेरिकी ठगे गए, तो क्या उन्होंने अमेरिकी दूतावास के जरिए भारत में कोई शिकायत की? क्राइम ब्रांच ने सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 और 34 के अलावा आईटी ऐक्ट की धारा  66(बी)(सी)(डी) के तहत मामला दर्ज किया है।