खुशखबरी ! अब जम्मू कश्मीर में चलेगी आईपीसी की धारा, नहीं चलेगी RPC

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – देश में क़ानूनी मामलों की बात हो तो अदालतें भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई करती है. लेकिन अभी तक जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं होता आ रहा था. वजह थी उसे मिली विशेष छूट. लेकिन अब जम्मू-कश्मीर से  हटाए जाने के बाद पुरे की तरह यह भी भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी लागू होगी। अब आगे समझते है कि रणबीर दंड संहिता क्या थी ?

आखिर क्या थी रणबीर दंड संहिता 

जम्मू-कश्मीरा राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू थी जिसे रणबीर आचार संहिता भी कहा जाता था. भारतीय संविधान की धारा 370 के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य में भारतीय दंड संहिता का इस्तेमाल नहीं कि`ा जा सकता था. यहां केवल रणबीर दंड संहिता का ही प्रयोग होता था. ब्रिटिश काल से ही इस राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू थी `
गौरतलब हैं कि देश की आजादी से पहले जम्मू कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत थी. उस वक़्त जम्मू कश्मीर में डोगरा राजवंश का शासन था. महाराजा रणबीर सिंह वहां के शासक थे. इसलिए वहां 1932 में महाराजा के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी. यह संहिता थॉमस बैबिंटन मैकाले की भारतीय दंड संहिता के ही समान थी. लेकिन इसकी कुछ धाराओं में अंतर था.`
आईपीसी की धारा 4 कंप्यूटर के जरिये किये गए अपराधों की व्याख्या करती है लेकिन रणबीर दंड संहिता में इसका कोई जिक्र नहीं है. आईपीसी की धारा 153 CAA के तहत सार्वजनिक सभाओ में भीड़ जमा करने के लिए जान बूझकर हथियार लाना गैर क़ानूनी है जबकि रणबीर दंड संहिता में इसपर कोई चर्चा नहीं है. आईपीसी की धारा 195A के तहत अगर कोई किसी पर झूठी गवाही देने के लिए दवाब डालता है तो इसे अपराध माना गया है जबकि रणबीर दंड संहिता इस पर मौन है. आईपीसी धारा 304 B दहेज़ मौत से जुड़ा है लेकिन रणबीर दंड संहिता में इसका भी जिक्र नहीं है.