मुंबई, 9 जून : मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर संवाद प्रारंभ किया। इसकी ख़ुशी है। संवाद का हमेशा फायदा होता है। लेकिन महाराष्ट्र के विषय पर केंद्र से कोशिश किसलिए ? यह सवाल विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने किया है.
केंद्र सरकार दवारा आवश्यक मदद महाराष्ट्र को मिल रही है। लेकिन केन्द्र के अधिकार वाले विषय पर प्रयास किया गया होता तो अधिक तर्कसंगत लगता। ओबीसी आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र का मुद्दा है। देश के अन्य राज्यों में यह आरक्षण सुरक्षित है। ऐसे में महाराष्ट्र को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर आये करवाई करनी होगी। प्रमोशन में आरक्षण राज्य सरकार दवारा जारी किये गए जीआर के विषय है। यह बयान देवेंद्र फडणवीस ने दिया है।
मेट्रो कारशेड का मुद्दा राज्य सरकार ने निर्माण किया है। इसके बावजूद केन्द्र से चर्चा करके इस मुद्दे का हल निकलता है तो अच्छा है। फसल बीमा की मापदंड के संदर्भ में राज्य सरकार को काम करने की जरुरत है। जीएसटी भरपाई नियमानुसार राज्य सरकार को मिलती रही है। चक्रवाती तूफान के संदर्भ में नियमानुसार राज्य का प्रस्ताव जाने के बाद और केंद्रीय टीम दवारा निरिक्षण किये जाने के बाद मदद प्राप्त होती रही है। बल्क ड्रग पार्क की मांग काफी अच्छी है और इसके लिए मई खुद प्रयास करूंगा। मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने के संदर्भ में केंद्र सरकार कार्यवाही करे ये हमारी खुद की मांग है।
कोर्ट में यह मामला होने की वजह से देरी हो रही है। राज्य के हितों के लिए ऐसी मुलाकात होना अच्छा है। लेकिन 12 विधायकों को लेकर प्रधानमंत्री से विनती करना विचित्र है. यह विषय राज्यपाल के कार्यक्षेत्र का है। ऐसे में राज्य के हाथ के मुद्दों के बजाय केंद्र के पास पेंडिंग विषय पर मुलाकात की गई होती तो राज्य के लिए अच्छा होता।
इसका कोई फायदा नहीं
मराठा आरक्षण के संदर्भ में राज्य सरकार उस जो ना. भोसले समिति गठित की थी. उस पर पुनर्विचार याचिका और उसका उद्देश्य सफल नहीं होने पर आगे पिछड़ा वर्ग आयोग, आवश्यक सुचना संकलन की कार्यवाही करने के लिए कहा गया है। यह काम न करते हुए केंद्र सरकार से मुलाकात करने का कोई फायदा नहीं है।