गुंबद के माध्यम से दुनिया को सर्वधर्मसमभाव और विश्व शांति का संदेश – डॉ. वीरेन्द्र हेगड़े

पुणे | समाचार ऑनलाइन

दुनिया के सबसे बड़े गुंबद में दुनियाभर के संत, तत्वज्ञ और प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. दुनिया को धर्मनिरपेक्षता का संदेश देने का कार्य इस माध्यम से किया जाएगा. भविष्य में सभी समुदायों को विकास का मार्ग दिखाने का काम करेगा। इसके अलावा सभी धर्मों के विचारों का प्रचार और शांति का संदेश इस गुंबद के माध्यम से दिया जाएगा, ऐसे विचार कर्नाटक के धर्मस्थल के मठाधीश वीरेंद्र हेगड़े ने व्यक्त किया।

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एमआईटी विश्व शांति विश्वविद्यालय, पुणे, भारत, और एमआईटी कला, डिजाइन और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पुणे विश्वराजबाग, लोणी कालभोर में निर्माण किए जा रहे दुनिया के सबसे बडे गुंबद के संत श्री ज्ञानेश्वर महाराज प्रार्थना हॉल में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम और भगवान महावीर की मूर्तियां शुक्रवार (दि. 21) को स्थापित की गई।

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इस कार्यक्रम के दौरान डॉ. वीरेंद्र हेगडे ने कहा कि ”इस समय अयोध्या के रामजन्मभूमी न्यास के पूर्व कार्याध्यक्ष डॉ. रामविलास वेदांती, अयोध्या के हनुमान गढी के प्रमुख महंत रामदास, शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे, सुप्रसिद्ध संगीतकार व गायक पं. हृदयनाथ मंगेशकर, एमआयटी विश्वशांती विद्यापीठ के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्‍वनाथ दा. कराड, प्रसिद्ध शास्त्रज्ञ डॉ. विजय भटकर, तुकाराम महाराज के वंशज ह.भ.प. बापूसाहेब मोरे, एमआयटी आर्ट, डिझाईन आणि टेक्नॉलॉजी विद्यापीठ के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश. तु. कराड, एमआयटी विश्वशांती विद्यापीठ के कार्याध्यक्ष राहूल कराड, एमआयटी-एडीटी विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. सुनील राय, कर्वे गुरूजी, नागपूर विद्यापीठ के पूर्व कुलगुरू डॉ. एस. एन. पठाण आदी उपस्थित थे।”

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रामजन्मभूमि के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राम विलास वेदांति ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। मंदिर बनाने से पहले जन जागरूकता जरूरी है। विश्वराजबाग, लोणी कालभोर में बन रहे दुनिया के सबसे बडे गुंबद के संत ज्ञानेश्वर प्रार्थना हॉल में भगवान श्रीराम और भगवान महावीर की मुर्तियों की स्थापना की गयी है. इस के साथ ही इस प्रार्थना हॉल में दुनिया के ५४ संत, तत्वज्ञ और बुद्धीजीवीयों की मुर्तियां स्थापित है। यह मुर्तियां दुनिया को सर्वधर्म समभाव और विश्वशांती का संदेश दे रही है।

एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्वनाथ. दा. कराड ने कहा कि ”ज्ञान और इसकी पूजा का प्रकाश भारतीय संस्कृति का मूल है। विभिन्न दार्शनिक, ऋषि और विचारधाराएं सभी धर्मों को मानवता का संदेश देती है। भविष्य में, यह गुंबद दुनिया को शांति के संदेश देगा। विज्ञान और ज्ञान के पुजारियों को मानवता के कल्याण का काम किया जायेंगा, ऐसा ही उन्होंने इस समय कहा।