मप्र : कांग्रेस की जीत के शिल्पकार अब भी ‘पर्दे के पीछे’

भोपाल, 20 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी हुई है। कांग्रेस की जीत के लिए बीते एक साल से जमीनी स्तर पर काम हो रहा था।

जिन लोगों ने जमीन पर काम किया और पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई, वे अब भी पर्दे के पीछे हैं। राज्य के नेता भले ही उनका लोहा न मान रहे हों, मगर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीत के शिल्पकारों का लोहा माना है और सफलता का श्रेय उन्हें यानी पर्दे के पीछे के किरदारों को दिया है।

क्षेत्र कोई भी हो, जब सफलता मिलती है तो उसके कई नायक बन जाते हैं और हार का कोई नायक नहीं होता। मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। कांग्रेस को सत्ता मिली तो तरह-तरह से जीत के आधार गढ़े जा रहे हैं, श्रेय लेने और देने की होड़ मची है। इस जश्न से अगर कोई दूर है तो वे लोग, जिन्होंने बीते एक साल में राज्य के गांव से लेकर भोपाल तक के बिखरे मोतियों को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की।

राज्य में कांग्रेस डेढ़ दशक बाद सत्ता में लौटी है, श्रेय लेने की हर तरफ होड़ मची है। कोई किसी को जीत का नायक बता रहा है तो कोई किसी के पीछे खड़ा है। मजे की बाज यह है कि बहुमत न मिल पाने और दिग्गजों की हार पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। कांग्रेस को भाजपा से पांच ही सीटें ज्यादा मिली हैं। वहीं वोटों का प्रतिशत भाजपा का कांग्रेस से ज्यादा है।

कांग्रेस को बहुमत दूसरे दलों के सहयोग से हासिल हुआ है, यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी तंज कसते हुए अपने कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि “हो सकता है कि पांच साल से पहले ही वे सत्ता में लौट आएं।”

एक तरफ भाजपा जल्दी वापसी की आस रखे हुए है तो दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट पर एक तस्वीर साझा की है और उसमें उनके साथ जीत के किरादार भी हैं।

राहुल ने लिखा है, “महान टीम असाधारण परिणाम प्रदान करती है, मैं टीम एआईसीसी, हमारे महासचिव, राज्य-प्रभारी, सचिवों और अन्य सभी असंगत नायकों को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपनी जीत हासिल की।”

राहुल ने अपने ट्वीट के साथ तीनों राज्यों से जुड़े नेताओं की तस्वीर साझा की है और अंत में लिखा है- “मैं आपको सलाम करता हूं (आई सैल्यूट यू)।”

राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है, “यह बात सही है कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस के लिए एक ऐसी टीम काम करती रही, जिसने जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों के बीच समन्वय स्थापित किया, यह क्रम लगातार चला। इसका असर यह हुआ कि कार्यकर्ताओं को लगा कि सरकार बनने पर उनकी हैसियत तो बढ़ेगी ही, साथ में राज्य के हालात भी बदलेंगे। राज्य के नेताओं में गुटबाजी होने के बावजूद ‘टीम राहुल’ अपना काम कर गई और राज्य की सत्ता कांग्रेस के हाथ आ गई।”

व्यास कहते हैं, “अभी कांग्रेस को बहुत कुछ करना होगा तभी, उसकी सरकार का रास्ता आसान होने वाला है। आगे लोकसभा चुनाव है, सत्ता में आते ही खींचतान बढ़ेगी यह अंदेशा हर किसी को था और अब वह दिख भी रहा है। नेता श्रेय लेने की होड़ में शामिल हो गए हैं। असली कार्यकर्ता कहीं पीछे छूट गया है, लिहाजा कांग्रेस को उस कार्यकर्ता का मान रखना होगा, जिसने जीत दिलाई। कांग्रेस ने अगर कार्यकर्ता का मान नहीं रखा तो राज्य में लोकसभा चुनाव में बाजी पलट भी सकती है।”

कांग्रेस के लिए सरकार चलना उतना आसान नहीं है, जितना कांग्रेस के नेता समझ रहे हैं। वजह यह है कि विपक्ष मजबूत है, भाजपा आक्रामक हो चली है। दूसरी तरफ , अगर कांग्रेस खेमों में बंटी नजर भी आई तो भाजपा के लिए अपनी पकड़ बनने में और लोकसभा चुनाव में बढ़त बनाए रखने में दिक्कत नहीं आने वाली।