कौन थे कप्तान अब्बास अली?

पुणे : समाचार ऑनलाइन – 3 जनवरी 1920 को कलंदर गढ़ी, खुर्जा, ज़िला बुलंदशहर में जन्में कप्तान अब्बास अली की प्रारम्भिक शिक्षा खुर्जा और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई. बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित रहे और पहले नौजवान भारत सभा और फिर स्टूडेन्ट फेडरेशन के सदस्य बने.

1939 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इंटरमीडिएट करने के बाद आप दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रितानी सेना में भर्ती हो गए और 1943 में जापानियों द्वारा मलाया में युद्ध-बंदी बनाए गए. इसी दौरान आप जनरल मोहन सिंह द्वारा बनाई गई आज़ाद हिंद फौज में शामिल हो गए और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी. 1945 में जापान की हार के बाद ब्रिटिश सेना द्वारा युद्ध-बंदी बना लिए गए. 1946 में मुल्तान के क़िले में रखा गया, कोर्ट मार्शल किया गया और सज़ा-ए-मौत सुनाई गई, लेकिन देश आज़ाद हो जाने की वजह से रिहा कर दिए गए.

मुल्क आज़ाद हो जाने के बाद 1948 में डा. राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हुए और 1966 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी तथा 1973 में सोशलिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री निर्वाचित हुए.

1967 में उत्तर प्रदेश में पहले संयुक्त विधायक दल और फिर पहली ग़ैर-कांग्रेसी सरकार का गठन करने में अहम भूमिका निभाई. आपातकाल के दौरान 1975-77 में 15 माह तक बुलंदशहर, बरेली और नैनी सेन्ट्रल जेल में डीआईआर और मीसा के तहत बंद रहे. 1977 में जनता पार्टी का गठन होने के बाद उसके सर्वप्रथम राज्याध्यक्ष बनाए गए और 1978 में 6 वर्षों के लिए विधान परिषद् के लिए निर्वाचित हुए.

आज़ाद हिन्दुस्तान में 50 से अधिक बार विभिन्न जन-आन्दोलानों में सिविल नाफ़रमानी करते हुए जेल यात्रा की. 2009 में  राजकमल प्रकाशन ने उनकी आत्मकथा “न रहूं किसी का दस्तनिगर” प्रकाशित की. 94 वर्ष की आयु तक अलीगढ़, बुलंदशहर और दिल्ली में होने वाले जन-आन्दोलानों में शिरकत करते रहे और अपनी पुरज़ोर आवाज़ से युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने का काम करते रहे. 11 अक्टूबर 2014 को 94 बरस की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका इंतेक़ाल हो गया.