बिना किसी पुरुष के महिलाओं के परिवार में पली-बढ़ी : देवोलीना भट्टाचार्जी

मुंबई, 8 मार्च (आईएएनएस)। टेलीविजन अभिनेत्री देवोलीना भट्टाचार्जी अपने पिता के निधन के बाद अपने चुनौतीपूर्ण बचपन को पीछे मुड़कर देख रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर वह कहती हैं, चुनौती का मतलब है। वह मजबूत महिलाओं के परिवार में पली-बढ़ी हैं।

देवोलिना ने भावुक होते हुए लिखा, मैंने अपने पिता को कम उम्र में ही खो दिया था और मेरे घर पर एक पिता की कमी के कारण समाज ने मेरे परिवार के साथ बहुत अच्छा व्यवहार नहीं किया। यह मेरी मां और उसकी मां थी, जिन्होंने समाज का सामना किया। वह मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत महिला हैं। मुझे चुनौती देने और जीने का फैसला करना सिखाया। मुझे याद है कि बीमार होने पर भी मेरी मां भी कैसे काम करने जाती थी। वह हम सबको वो सब देना चाहती थी जो एक पिता अपने बच्चों के लिए करता है। मैंने हमारे लिए उसकी लड़ाई देखी है। हमारे लिए वह दोनों ही थीं-एक मां और पिता भी।

धारावाहिक साथ निभाना साथिया की गोपी या गोपिका बनीं अभिनेत्री को लगता है कि महिलाएं समाज का सबसे महत्वपूर्ण और सुंदर हिस्सा हैं।

उन्होंने लिखा, मुझे लगता है कि समाज में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका ने स्थिरता, प्रगति और दीर्घकालिक विकास को सुनिश्चित किया है। मैं असम से आती हूं और वहां मैंने देखा है कि पुरुषों द्वारा किया जाने वाला काम लगभग महिलाओं के बराबर है। जैसा कि चाय का बागान जहां महिलाएं भी अहम भूमिका अदा करती हैं।

उन्होंने आगे लिखा, मुझे लगता है, मेरे दो शो- साथिया.. और संवारे सबके सपने प्रीतो एक अच्छा उदाहरण है कि महिलाएं सब कुछ कर सकती हैं और समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वह पुरुषों की तुलना में किसी से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे शो का हिस्सा बनने के लिए भाग्यशाली हूं। साथ ही ऐतिहासिक महिला की जीवनी में अभिनय करने की इच्छा जताई।

–आईएएनएस

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