मुंबई, 10 सितंबर (आईएएनएस)| बहुत से लोग सोशल मीडिया प्रोफाइल का व्यावसायिक उपयोग करते हैं, जबकि 40 फीसदी भारतीय इस बात पर सहमति जताते हैं कि सोशल मीडिया पर विवादास्पद सामग्री पोस्ट करने पर उन्हें उनकी नौकरी से निकाला जा सकता है।
साइबरसिक्युरिटी कंपनी मैकआफी द्वारा मंगलवार को जारी किए गए शोध परिणाम में कहा गया कि चिंताजनक रूप से निजी जानकारी और तस्वीरों की भरमार होने के बावजूद भारत में आधे से अधिक उपयोगकर्ताओं के पास एक निष्क्रिय सोशल मीडिया अकांउट है। इसके साथ 41 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने निष्क्रिय खातों को हटाने के बारे में नहीं सोचा है।
मैकआफी इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग व मैनेजिंग डायरेक्टर वेंकट कृष्णपुर ने कहा, “हम सभी ने देखा है कि हाई प्रोफाइल हस्तियों व लोकप्रिय व्यक्तियों की आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट सालों बाद भी उभर आती है और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं, लेकिन यह मुद्दा किसी को भी प्रभावित कर सकता है।”
कृष्णपुर ने कहा, “अपने सोशल मीडिया अकांउट को नियमित रूप से क्लीन करने कॉरपोरेट प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अपने सक्रिय अकाउंट के प्राइवेसी सेटिग्स को बढ़ाएं और निष्क्रिय खातों को बंद करें, जिससे सूचनाएं गलत हाथों में नहीं जाएं।”
25 फीसदी से ज्यादा लोगों ने कबूल किया कि उन्होंने संकट के बाद पोस्ट को डिलीट कर दिया और 25.7 फीसदी ने अपने मौजूदा कार्यस्थल के बारे में नकारात्मक सामग्री पोस्ट करने की बात कबूली।
शोध के लिए मैकआफी ने भारतीयों के सोशल मीडिया हाइजीन को बनाए रखने के दृष्टिकोण का अध्ययन किया।
मैकआफी ने खुलासा किया कि 21.4 फीसदी भारतीयों को अपनी सोशल मीडिया सामग्री से करियर/नौकरी की संभावनाओं पर नकारात्मक असर पड़ने की चिंता है।
शोध के सकारात्मक पक्ष में यह बात सामने आई कि देश में 46.9 फीसदी सोशल मीडिया उपयोगकर्ता निजी व कार्यस्थल के जीवन को अलग रखने को तरजीह देते हैं।
इसमें सामने आया कि 45-55 आयु के 35.6 फीसदी की तुलना में 16-24 आयु वर्ग के 41.1 फीसदी लोग अपने सोशल मीडिया सामग्री को पोस्ट व टैग करते हुए बहुत सावधान रहते हैं।