अगले अधिवेशन से विद्यार्थियों पर कम होगा पाठ्यक्रम का बोझ : केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर

नई दिल्ली : जावडेकर ने शिक्षकों की खराब गुणवत्ता पर चिंता जताई और कहा कि इससे बच्चों की सीखने-समझने की क्षमता पर असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि आरटीइ अधिनियम के तहत 2015 तक 20 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना था, लेकिन सिर्फ 5 लाख को ही प्रशिक्षिण मिल सकी। फिलहाल 14 लाख टीचर कौशल देवत्व कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं, इससे बेहतर नतीजे आने चाहिए। जावडेकर ने बताया कि नई शिक्षा नीति पर एक रिपोर्ट अगले महीने के आखिर तक पेश की जाएगी और मंजूरी मिलने के बाद इसे पब्लिक डोमेन में लाया जाएगा।

क्लास 1 से 12 तक के स्टूडेंट्स के लिए यह सिलेबस कम किए जाने की बात चल रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘संज्ञानात्मक कौशल के विकास के स्तर पर छात्रों को पूरी आजादी दिए जाने की जरूरत है।’

केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कहा, ‘परीक्षा के बगैर कोई प्रतियोगिता और लक्ष्य नहीं होगा, अच्छे नतीजों के लिए प्रतियोगिता की भावना का होना बेहद जरूरी है।’ जावडेकर ने टीचर्स की खराब गुणवत्ता पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से कई बार खराब नतीजे आते हैं। उन्होंने कहा, ‘शिक्षक का पहला काम स्टूडेंट तक अपनी पहुंच बनाना है, उसकी ताकत और कमजोरियों को समझें और उसी हिसाब से उसे आगे के लिए तैयार करें।’ उन्होंने कहा कि 2015 तक ‘राइट टु एजुकेशन’ अधिनियम के तहत 20 लाख टीचर्स को प्रशिक्षित किया जाना था, लेकिन 5 लाख ही किए जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति के संबंध में अगले महीने के आखिर तक रिपोर्ट दायर की जाएगी।