राज्य विधानसभा चुनावों से पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर 14 फरवरी को भारत में जापान के राजदूत केनजी हीरामत्सु के नेतृत्व में एक जापानी प्रतिनिधिमंडल को लेकर पूर्वोत्तर जाएंगे। इसे एनडीए की लुक ईस्ट नीति के लिए एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
एमईए के आधिकारिक सूत्रों ने आईएएनएस से पुष्टि की कि जयशंकर और एक जापानी प्रतिनिधिमंडल असम में निर्माणाधीन कुछ जापानी सहायता प्राप्त परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे। असम में सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने पहले ही आगामी जापानी औद्योगिक टाउनशिप के लिए नगरबेरा में 2,000 बीघा जमीन का अधिग्रहण कर लिया है।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, भारत असम में 13 वीं जापानी औद्योगिक टाउनशिप की स्थापना कर रहा है। इसका उद्देश्य इस सीमावर्ती राज्य में जापान की मदद से अधिक घरेलू विनिर्माण में मदद करना है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार उत्पन्न होंगे। हम जापान, इजराइल और अमेरिका के साथ समय-समय पर ऐसी साझेदारी करते रहते हैं।
परियोजना की देखरेख जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा की जा रही है।
जापानी दूतावास ने हालांकि एमओयू के गोपनीयता को देखते हुए इस दौरे के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की।
सूत्रों ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में जापानी अंतर्राष्ट्रीयसहयोग एजेंसी (जेआईसीए) के प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि जयशंकर असम में युवाओं के कौशल प्रशिक्षण और भर्ती के लिए जापान के साथ एक नए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर हो सकते हैं, जहां अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
असम में खराब बुनियादी ढांचे और अपर्याप्त कनेक्टिविटी के कारण बेरोजगारी की उच्च दर बनी हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत हुए भारत के साथ जापान के द्विपक्षीय संबंधों ने पिछले कुछ वर्षो में असम को लाभान्वित किया है।
नई दिल्ली में जापानी दूतावास के एक प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया कि जापान ने कई अवसंरचना विकास योजनाओं में सहायता की है, जिसमें धुबरी-फूलबाड़ी पुल, गुवाहाटी सीवरेज परियोजना, गुवाहाटी जल आपूर्ति परियोजना और कामरूप में गरीब महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण शामिल है।
–आईएएनएस
आरएचए/एएनएम