आईएसएल का भारतीय फुटबाल पर सकारात्मक प्रभाव

नई दिल्ली, 9 जुलाई (आईएएनएस)| ऐसे समय में जब अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) पर आई-लीग क्लबों के साथ दोहरा रवैया अपनाने के ओराप लगाए जा रहे हैं, आंकड़ें यह बताते हैं कि 2014 में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के आने के बाद से भारत में फुटबाल लगातार आगे बढ़ा है। इंटरकॉन्टिनेंटल कप में भाग ले रही भारतीय टीम में शामिल सभी 25 खिलाड़ी आईएसएल क्लबों के लिए खेलते हैं।

आईएसएल के आने के बाद भारतीय टीम फीफा रैंकिंग में शीर्ष 100 टीमों में शमिल हुई। देश में बुनियादी सुविधाओं के विकास और बेहतर कोच के आने को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता।

यूथ प्रोग्राम चलाने के अलावा क्लबों को आईएसएल नियमों के अनुसार, अपनी टीम में कम से कम तीन अंडर-21 खिलाड़ियों को शामिल करना अनिवार्य है जिससे भारत में युवा खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहन मिला है।

वर्ष 2014 में देश में केवल 260 खिलाड़ियों के पास पेशेवर कॉन्ट्रैक्ट था, लेकिन अब 550 खिलाड़ियों के पास पेशेवर कॉन्ट्रैक्ट है।

आईएसएल भारत में सबसे ज्यादा देखा जाने वाल फुटबाल टूर्नामेंट है। बीएआरसी के अनुसार, देश में इस खेल को देखने वाले दर्शकों की संख्या 12.1 करोड़ (2011) से बढ़कर 49.8 करोड़ (2018) हो गई है। आईपीएल और प्रो-कबड्डी लीग के बाद इसे देश में सबसे अधिक देखा जाता है।

एक आईएसएल क्लब साल में करीब 35 लाख रुपये पिच पर खर्च करता है। इसके अतिरिक्त 15 लाख रुपये प्रेक्टिस पिच पर खर्च किए जाते हैं।

आईएसएल के आयोजक फुटबाल स्पोर्ट्स डेवलप्मेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) ने 2014 में स्टेडियम को बेहतर करने के लिए करीब 21.5 करोड़ रुपये खर्च किए। 2018-19 में आईएसएल को देखने के लिए स्टेडियम में पहुंचे दर्शकों की संख्या भी नौ लाख से बढ़कर 20 लाख हुई।

इस बीच सोमवार को छह आई-लीग क्लबों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर उनसे “भारतीय फुटबाल को बचाने” का आग्रह किया।

आईएएनएस के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार, पत्र पर मोहन बागान के प्रबंध संचालक के दस्तखत थे और उसे प्रधानमंत्री की जीमेल आईडी पर भेजा गया।

महासंघ के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने पिछले सप्ताह आई-लीग क्लबों को यह भरोसा दिलाया था कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि आई-लीग चलता रहे। एक दिन बाद क्लबों ने उनके अधिकांश प्रस्तावों को माना भी था।