आदि शंकराचार्य के अद्वैतवाद को ‘ब्रह्म मुहूर्तम्’ बनाएगा जन-जन के दर्शन

रायपुर, 11 नवंबर (आईएएनएस)| आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन (विचार) के जरिए भारत के पुनर्निर्माण के लिए ‘ब्रह्म मुहूर्तम्’ अभियान चलाया जाएगा, क्योंकि अद्वैत दर्शन ही जीवन जीने का वास्तविक तरीका है। आम आदमी को वास्तविक मानव बनाने के उद्देश्य से ‘ब्रह्म मुहूर्तम्’ अभियान की कार्ययोजना शंकराचार्य परिषद ने तय की है।

शंकराचार्य ट्रस्ट ने अनुषांगिक संस्था के तौर पर शंकराचार्य परिषद का गठन किया है। यह परिषद आयुर्वेद, संतुलित जीवन पद्धति, योग, शिक्षा, कृषि और महिला कल्याण के लिए काम कर रही है। इस परिषद से सभी वर्गो को जोड़ने के लिए नौ अनुषांगिक संगठन बनाए गए हैं। इनमें युवा, छात्र, महिला, किसान, शिक्षक, मजदूर, अधिवक्ता, व्यापार और कर्मचारी जगत से जुड़े लोगों को जोड़ा जाएगा।

परिषद के तहत विभिन्न अनुषांगिक संगठनों की इकाइयों का पूरे देश में गठन किया जा रहा है, इसी क्रम में रविवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ‘सनातन धर्म और आज का युवा’ संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें सभी की सहमति से सनातन परंपराओं के प्रचार-प्रसार और उन्हें अंगीकर करने पर जोर दिया गया। यह आयोजन युवा परिषद के राष्ट्रीय संयोजक आशीष चतुर्वेदी की अगुवाई में किया गया।

शंकराचार्य ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने आईएएनएस को बताया, “अद्वैत दर्शन को धर्म और संप्रदाय की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता, क्योंकि एक अच्छे व्यक्ति में जिन बातों की आप कल्पना करते हैं, वही इस दर्शन में है, यह वास्तविक मानव बनाने वाला दर्शन है। आदि शंकराचार्य का यह दर्शन ऐसा है, जिसमें जीवन जीने का वास्तविक तरीका है, क्योंकि आप जैसे ही दूसरे जीवन जीने के तरीके पर जाएंगे तो कहीं न कहीं हिंसा है, मगर अद्वैत दर्शन में वह सब है जिसकी कल्पना एक अच्छे व्यक्ति में की जाती है।”

स्वामी ने आगे कहा, “कुछ राजनेता नए भारत के निर्माण की बात कर रहे हैं, मगर परिषद पुराने भारत के पुनर्निर्माण की कल्पना को लेकर आगे चल रही है। इसीलिए पुराने भारत की आचार-व्यवहार पद्धति को लेकर आने वाले दिनों में काशी से ‘ब्रह्म मुहूर्तम्’ कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहे हैं। इसे देश के गांव-गांव तक ले जाया जाएगा।”

ब्रह्म मुहूर्तम् में क्या होगा? यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “इस कार्यक्रम के तहत गांव में एक व्यक्ति को सभी को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी होगी। वह ब्रह्म मुहूर्त में सीटी बजाकर लोगों को इकट्ठा करेगा। एक स्थान पर सभी लोग मिलकर ध्यान, योग, प्राणायाम करेंगे, राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी, उसके बाद गीत-संगीत का भी कार्यक्रम होगा, गीता पाठ होगा, 108 मंत्रों के साथ हवन होगा। सूर्योदय के साथ सूर्य नमस्कार कर सभी अपने घरों को चले जाएंगे।”

स्वामी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “वर्तमान में समाज भटक गया है, उसे रास्ता बताने वाला कोई नहीं है। जीवन कैसे जीना चाहिए, समाज को जागृत करने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। पहले की जो परंपराएं थीं, वह समाप्तप्राय हो गई हैं, इस स्थिति में ‘ब्रह्म मुहूर्तम्’ कार्यक्रम मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि इससे हर व्यक्ति जागृत होगा। समाज को जागृत करने की जिम्मेदारी जिन आचार्यो पर थी, वे अपने राजनीतिक स्वार्थो के लिए राजनीतिज्ञों के पीछे लगे हुए हैं। उनका जो काम था, वह नहीं कर रहे हैं।”

आज अद्वैत दर्शन की जरूरत क्यों पड़ रही है? इस सवाल पर स्वामी ने कहा, “आदि शंकराचार्य के अवतरण के समय जैसे हालात थे, वैसे ही हालात वर्तमान में हैं। आज सनातन धर्म कमजोर हो रहा है। आदि शंकराचार्य ने अद्वैत दर्शन के जरिए बौद्ध धर्म सहित अन्य धर्मो से जुड़े लोगों को सनातन धर्म से जोड़ा था, धीरे-धीरे पूरी दुनिया ही सनातन हो गई थी, अब जरूरत है कि एक बार फिर अद्वैत दर्शन के जरिए दुनिया को सनातन बनाया जाए।”