आरबीआई बोर्ड कर रही जालान समिति की रिपोर्ट पर चर्चा

मुंबई, 26 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बोर्ड की बैठक इस समय चल रही है, जिसमें केंद्रीय बैंक के आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क (ईसीएफ) पर जालान समिति की सिफारिश पर विचार किया जा रहा है। यह जानकारी सूत्रों ने दी। आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि और इसके लाभांश का सरकार को हस्तांरण किए जाने के संबंध में सिफारिश की गई है।

वित्तवर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने आरबीआई से 9,000 करोड़ रुपये लाभांश का अनुमान लगाया है।

जालान समिति ने शुक्रवार को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि के अधिशेष का हस्तांतरण सरकार को पूर्वनिर्धारित फॉर्मूले के आधार पर तीन से पांच साल में चरणबद्ध तरीके से किए जाने की सिफारिश की गई है। इसे बाद में आरबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा सकता है।

जालान समिति का गठन यह सुझाव देने के लिए किया गया था कि आरबीआई को कितनी आरक्षित निधि रखनी चाहिए और कितने का हस्तांतरण सरकार को किया जाना चाहिए।

आरबीआई जुलाई-जून वित्तवर्ष का अनुसरण करता है और सालाना खाते को अंतिम रूप दिए जाने के बाद लाभांश का वितरण अक्सर अगस्त में किया जाता है।

आरबीआई बोर्ड की बैठक में जून में समाप्त हुए वर्ष के वित्तीय विवरणों को मंजूरी प्रदान की जाएगी।

अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र सुस्ती के हालात से जूझ रहे हैं इसलिए सरकार सार्वनिक निवेश बनाने और वित्तपोषण के अंतर को पाटन के लिए आरबीआई के लाभांश और अधिशेष प्राप्त करने की राह देख रही है।

लेकिन जालान समिति की सिफारिश के आधार पर पूंजी हस्तांतरण पर कोई फैसला आज आने की उम्मीद कम है, क्योंकि बोर्ड के सदस्य सिफारिशों का अध्ययन करने के लिए और समय ले सकता है।

सूत्रों ने बताया कि बोर्ड हालांकि अधिशेष के आधार पर वित्तवर्ष 2019 के लिए सामान्य लाभांश का भुगतान सरकार को करने की घोषणा करेगा।

साल 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई की आरक्षित निधि 96 खरब रुपये है।