नई दिल्ली, 13 जून (आईएएनएस)| इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लि. ने गुरुवार को कहा कि याचिकाकर्ता अभय यादव, जिसने कंपनी और उसके अध्यक्ष समीर गहलोत पर फंड की हेराफेरी का आरोप लगाया था, उसने अपनी याचिका सर्वोच्च न्यायालय से वापस ले ली है।
आईएएनएस बार-बार यह ध्यान दिला रहा था कि याचिकाकर्ताओं ने यह याचिका गलत इरादों से दाखिल की है। इसके बाद इंडियाबुल्स के शेयरों में 11.86 फीसदी या 75.65 रुपये की तेजी दर्ज की गई और यह 694.70 पर बंद हुआ। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि सेबी की निगरानी के बावजूद निहित स्वार्थ कंपनियों को नुकसान पहुंचाते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को एक आपराधिक रिट याचिका दायर कर यह आरोप लगाया गया था कि कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने छद्म कंपनियों का उपयोग कर कंपनी में करीब 98,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। इंडियाबुल्स ने बुधवार को कहा कि याचिकाकर्ता ने अदालत में स्वीकार किया कि याचिका में खामी है और वे इसे सुधार कर दोबारा दाखिल करेंगे। कुल मिलाकर यह घटना एक आपराधिक साजिश की ओर इशारा करती है, जिसमें शेयरधारकों का धन दांव पर लगा है।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि कंपनी के अध्यक्ष समीर गहलौत ने स्पेन के एक एनआरआई हरीश फाबियानी के साथ मिलकर कथित रूप से कई ‘छद्म कंपनियों’ का गठन किया है, जिसे आईएचएफएल ने भारी भरकम रकम कर्ज के रूप में दिया, जबकि ये कंपनियां महज कागजों पर थीं और कर्ज में मिली रकम को ठिकाने लगाने के लिए बनाई गई थीं।