इंतजार ने ख़त्म की करीब आने की संभावना!

मुंबई: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर जहां भाजपा रूठे साथियों को मनाने के मिशन में मशगूल है, वहीं शिवसेना को लेकर उसकी सोच में किसी तरह का परिवर्तन नहीं आया है। ऐसा लग रहा है जैसे भाजपा शिवसेना से सालों पुराने रिश्तों में आई गाँठ को खोलने के मूड में नहीं है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को ढाई घंटे इंतजार कराने के बाद भी न मिलना, जताता है कि दोनों दलों के रस्ते अब पूरी तरह से जुदा हो चले हैं।

…मगर ऐसा हुआ नहीं 

हालांकि भाजपा अब कह रही है कि गलतफहमी के चलते ऐसा हुआ, लेकिन सत्ता के गलियारों में इसे दोस्ती पर विराम के रूप में देखा जा रहा है। कुछ वक़्त पहले जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यूपी से उठने वाले बागी सुरों को शांत करने के लिए सहयोगियों से मिले, तो लगा कि शायद इस कड़ी में शिवसेना प्रमुख सेना से भी मुलाकात की जा सकती है मगर ऐसा हुआ नहीं। ठाकरे और फडणवीस के बीच मन-भेद का जो ताज़ा मामला सामने आया है उसके बाद इसकी संभावना और भी ज्यादा कम हो गई है।

शीर्ष स्तर पर नाराज़गी 

शिवसेना को लेकर भाजपा के शीर्ष स्तर में नाराज़गी है। भाजपा नेताओं को लगता है कि उद्धव ठाकरे गठबंधन धर्म को निभाने के बजाए अपने हितों के बारे में ज्यादा सोचते हैं। यही वजह है कि वे समय-समय पर सार्वजानिक मंच से भाजपा पर हमले करते रहे हैं। गौरतलब है कि महंगाई से लेकर जम्मू कश्मीर में सैनिकों की शहादत तक के मुद्दे पर ठाकरे ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया था। भाजपा को यही बात सबसे ज्यादा चुभी है।