ऋषिगंगा नदी के प्रवाह पर एसडीआरएफ की नजर, लगाए गए अलर्ट सेंसर

देहरादून, 15 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड के चमोली जिले में बाढ़ से दो जलविद्युत परियोजनाओं के क्षतिग्रस्त होने के बाद जिंदगी की तलाश सोमवार को भी जारी रही। एसडीआरएफ ने कहा है कि इसने ऋषिगंगा नदी के जल प्रवाह की निगरानी के लिए कई लोगों को तैनात किया है।

एसडीआरएफ अधिकारी नवनीत भुल्लर ने कहा कि ऋषिगंगा के जलग्रहण क्षेत्र में बनी एक झील से नीचे की ओर जल का प्रवाह देखा जा सकता है। इसके मद्देनजर राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के जवानों को नदी के किनारे पंग और अन्य क्षेत्रों में तैनात किया गया है। इसके अलावा, नदी के किनारे अलर्ट सेंसर भी लगाए गए हैं।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि लोगों को ऋषिगंगा नदी के पास नहीं जाने और सभी सावधानियां बरतने के लिए निर्देशित किया गया है।

सैटेलाइट इमेज में नदी के जलग्रहण क्षेत्र में एक झील के निर्माण का संकेत मिला था। अतएव, बढ़ती आशंकाओं के बीच उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को चेतावनी जारी की थी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि सैटेलाइट तस्वीरों में ऋषिगंगा में 400 मीटर लंबी झील का निर्माण दिखाई दे रहा है।

बहरहाल, भुल्लर की अध्यक्षता में एसडीआरएफ की 8 सदस्यीय टीम ने झील का सर्वेक्षण किया था और क्षेत्र की वीडियोग्राफी करने एवं मिट्टी और पानी के नमूने एकत्र करने के बाद शनिवार शाम चमोली जिले के तपोवन वापस लौट आई थी।

भुल्लर ने कहा कि हमने इन नमूनों और वीडियो को आगे की कार्रवाई के लिए देहरादून के पुलिस मुख्यालय में भेज दिया है। इस झील से भी काफी मात्रा में पानी का प्रवाह हो रहा है।

सरकार ने वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों से झील के निर्माण पर विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए टीमों को ऋषिगंगा घाटी में भेजने के लिए कहा है।

चमोली जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आ रही खबरों में कहा गया है कि गुरुवार दोपहर से ही ऋषिगंगा का प्रवाह गड़बड़ा गया था।

7 फरवरी की चमोली जिले के जोशीमठ में नदी में बाढ़ के कारण एनटीपीसी की तपोवन और ऋषिगंगा पनबिजली परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा था। आपदा के बाद 200 से अधिक व्यक्ति लापता हो गए थे।

–आईएएनएस

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