एआईएफएफ में बदलाव की मांग लेकर कोर्ट पहुंचे पूर्व फुटबालर

नई दिल्ली, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। पूर्व भारतीय गोलकीपर कल्याण चौबे ने अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) में चुनाव की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। चौबे का मानना है कि एआईएफएफ मौजूदा नियमों के अनुसार नहीं चल रही है।

वर्ष 1999 से 2006 तक भारतीय सीनियर टीम के लिए खेल चुके चौबे ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिक दाखिल करके कहा है कि एआईएफएफ के मौजूदा कार्यकारी समिति का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाए और जल्द नया चुनाव कराया जाए।

चौबे ने साथ ही कोर्ट से यह भी मांग की कि चुनाव योग्यता प्रक्रिया में सुधार किया जाए ताकि पूर्व खिलाड़ी भी चुनाव लड़ सके और एआईएफफ की निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा बन सके।

चौबे ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, मैंने केवल दो चीजों की मांग की है। पहला तो यह कि वर्तमान में जिस तरह से एआईएफएफ को चलाया जा रहा है, राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुसार, वह नियमों के अनुसार नहीं है। एआईएफएफ को इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पालन करना चाहिए, अथार्त समिति चलाने के लिए चुनाव का आयोजन होना चाहिए।

उन्होंने कहा, दूसरा, एआईएफएफ ने एक बहुत ही अजीब शर्त रखी है कि यदि कोई भी महासंघ के चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे राज्य संघ में कम से कम चार साल तक किसी एक पद पर रहना होगा।

चौबे ने आगे कहा, मैंने जो पूछा है वह यह है कि अगर कोई पूर्व फुटबॉलर चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे एक मौका दिया जाना चाहिए, भले ही वह उपरोक्त मापदंडों पर खरा न उतरता हो, ऐसा इसलिए है क्योंकि यह फुटबॉल है, जिसकी भलाई के लिए यह समिति है और एक पूर्व फुटबॉलर भी इसका हिस्सा हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप एआईएफएफ के संविधान को अंतिम रूप देने के लिए नवंबर 2017 में पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी की अगुवाई में दो सदस्यीय समिति गठित की थी। लेकिन 100 सप्ताह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी मामले को अभी भी सुप्रीम कोर्ट में एआईएफएफ द्वारा संबोधित किया जाना बाकी है।

अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासक कुरैशी ने हाल ही में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में, एआईएफएफ के उस दावों का खंडन किया था कि, जिसमें कहा जा रहा था कि खेल निकाय के प्रारूप संविधान को तैयार करने के लिए उन्होंने और समय की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि दस्तावेज पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पेश की जा चुकी है।

–आईएएनएस

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