कर्नाटक में भाजपा बैकफुट पर, 220 मठ देंगे ‘हाथ’ का साथ

नई दिल्लीः भाजपा के लिए कर्नाटक में सत्ता की राह आसान नजर नहीं आ रही है। लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्ज़ा देने से इंकार करने के चलते उसे नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि लिंगायत समुदाय की अनदेखी भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। उधर, लिंगायतों के मठाधीश भाजपा के विरोध में लामबंद होने लगे हैं। रविवार को बेंगलुरु में ऐसे 220 मठों के मठाधीशों ने बैठक बुलाकर चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया। लिंगायतसमाज अगर इन संतों के फैसले का समर्थन कर देता है तो भाजपा के लिए जादुई आंकड़ा हासिल करना मुश्किल होगा। गौरतलब है कि हाल ही में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कुछ संतों से बात करते हुए ये कहा था कि जब तक केंद्र में भाजपा सरकार है तब तक अलग धर्म की बात पर आगे नहीं बढ़ा जाएगा।

ये हैं विरोध में
अमित शाह के इस बयान से नाराज उन 220 मठों के मठाधीशों ने रविवार को बेंगलुरु के बसव भवन में एक बैठक की, इस बैठक में चित्रादुर्गा के प्रसिद्ध मुरुगा मठ के मठाधीश मुरुगा राजेन्द्र स्वामी, बसव पीठ की प्रमुख माता महादेवी, सुत्तुर मठ सहित 220 मठों के मठाधीशों ने हिस्सा लिया।

सिद्धरामैया का समर्थन
सभी ने चर्चा के बाद एक मत में कहा कि वे अमित शाह के बयान से बेहद आहत हुए हैं, केन्द्र सरकार के फैसले से पहले ही पार्टी अध्यक्ष ने बता दिया है कि इस मसले पर पार्टी का स्टैण्ड क्या है। ऐसे में ये फैसला लिया गया है कि चूँकि सीएम सिद्धरामैया ने उनकी बात मानी,उनकी मदद की इसीलिये, इस बार चुनाव में सिद्धरामैया को ही इन मठों का समर्थन मिलेगा।

शाह वीरशैवा के साथ
इससे पहले अमित शाह ने वीरशैवा धर्मगुरुओं से मुलाक़ात की थी और उन्हें ये सुनिश्चित किया था कि केंद्र कर्नाटक को कांग्रेस सरकार के इस फैसले को खारिज करेगी। बता दें कि लिंगायतों में वीरशैवा भी आते है जो अलग धर्म के कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के फैसले के विरोध में है।