कल ख़ामोशी कमजोरी थी, आज ताकत बन गई, ठोको ताली!

नई दिल्ली: “हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना।” निदा फ़ाज़ली का यह शेर अगर आप समझना चाहते हैं, तो आपको कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में नवजोत सिंह सिद्धू के भाषण को गौर से पढ़ना होगा। किसी ज़माने में भाजपा के रथ से सिद्धू ने कांग्रेस पर अनगिनत तीर दागे थे। उन्होंने मनमोहन सिंह और राहुल गांधी को भी व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया था, लेकिन अधिवेशन में सबने एक दूसरे सिद्धू को देखा। वह सिद्धू जो मनमोहन सिंह को दमदार कहता है, राहुल गांधी को भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखता है।

… सिर झुकाता हूं
कांग्रेसी हो चुके नवजोत सिंह सिद्धू ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में कहा, ”वो सरदार भी हैं और असरदार भी हैं। मैं सरदार मनमोहन सिंह से माफ़ी मांगना चाहता हूं और (उनके सामने) सिर झुकाता हूं। आपकी चुप्पी ने वो कर दिखाया जो भाजपा का शोर नहीं कर सका।” हालांकि भाजपा में रहते वक़्त सिद्धू के लिए मनमोहन दमदार नहीं बल्कि कमजोर प्रधानमंत्री थे। उनके लिए प्रधानमंत्री सिंह की ख़ामोशी उनकी कमजोरी थी, लेकिन आज वही उनकी ताकत बन गई है। उन्होंने एक बार कहा था, ”मजबूर आदमी ईमानदार नहीं हो सकता. मजबूर प्रधानमंत्री ईमानदार नहीं हो सकता। मुझे तो शक है कि सरदार भी है या नहीं।”, ”सरदार होवे ना होवे, असरदार बिलकुल नहीं है। कहते हैं अर्थशास्त्री हैं, मैं कहता हूं व्यर्थशास्त्री है।”

राहुल तब और अब 
कांग्रेस अधिवेशन में सिद्धू ने कहा कि राहुल गांधी साल 2019 में लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे। लेकिन भाजपा के लिए चुनाव प्रचार करते हुए उन्होंने कई बार कांग्रेस नेता पर हमला बोला था। एक बार सभा में उन्होंने कहा था, ”ऐ राहुल बाबा, स्कूल जाओ स्कूल. स्कूल में जाकर पढ़ना सीखो। राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह में फ़र्क़ सीखो।”

क्या हुआ? बाबाजी का ठुल्लू  
इतना ही नहीं सिद्धू ने जवाहरलाल नेहरू पर भी हमला बोला था। उन्होंने कहा था, ”साल 1945 में पंडित नेहरू ने कहा था कि दस साल में देश को शिक्षित कर देंगे। क्या हुआ? बाबाजी का ठुल्लू.” ”फिर इंदिरा गांधी आईं, उन्होंने कहा, गरीबी हटाओ। हुआ क्या? बाबाजी का ठुल्लू और अब मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी आ गए और हुआ क्या, बाबाजी का ठुल्लू।”,”जो साठ साल विश्वासघात करते रहे, उनका विश्वास कैसे करोगे। कांग्रेस, मुन्नी से ज़्यादा बदनाम है। अब तो ख़ुद मुन्नी भी इन पर शर्मिंदा है।” जबकि आज वही कांग्रेस उनके लिए माँ समान हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कहा था, कि कांग्रेस पर से विश्वास उठ गया है। कांग्रेस के साठ साल, मोदी साहब के दस साल। चंपा के दस फूल, चमेली की एक कली। मूर्ख की सारी रात, चतुर की एक कड़ी।