किसी की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठा सकते : इस्लामाबाद हाईकोर्ट

इस्लामाबाद, 3 फरवरी (आईएएनएस)| इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्तून तहफूज आंदोलन (पीटीएम) के नेता मंजूर पश्तीन की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं को जमानत दे दी है। इन कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन के बाद हिरासत में लिया गया था। मुख्य न्यायाधीश अथार मिनल्लाह ने याचिका पर सुनवाई की और पीटीएम और अवामी वर्कर्स पार्टी (एडब्ल्यूपी) से जुड़े 23 कार्यकर्ताओं को जमानत दे दी।

सोमवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने इस्लामाबाद पुलिस प्रमुख के अदालत से अनुपस्थिति रहने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।

न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने डिप्टी कमिश्नर से कहा, “हम आपकी सरकार से यह उम्मीद नहीं करते हैं। आप यहां राज्य के प्रतिनिधि हैं और लोगों की सुरक्षा करना राज्य का काम है।”

मुख्य न्यायाधीश ने इस्लामाबाद आईजीपी से परामर्श करने और घटना पर एक रिपोर्ट के साथ आने के लिए उपायुक्त को एक सप्ताह का समय देते हुए टिप्पणी की, “हम इस मामले की तह तक पहुंचेंगे। आप किसी की देशभक्ति पर सवाल कैसे उठा सकते हैं? क्या आपको लगता है कि संवैधानिक अदालतें इस तरह के मामले पर अपनी आंखें बंद कर लेंगी?”

मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार को राजधानी पुलिस और जिला प्रशासन से इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राजद्रोह का अपराध दर्ज करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा था।

अदालत ने इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर और पुलिस प्रमुख को भी आदेश दिया था कि तीन फरवरी को कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से संबंधित पूरा रिकॉर्ड तैयार किया जाए।

याचिकाकर्ताओं के वकील अम्मार राशिद और अन्य ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष दलील दी थी कि “याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मामला माला के आधार पर दर्ज किया गया है।”

उन्होंने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं की जमानत याचिकाओं को खारिज करने के आदेश पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह मनमाने ढंग से किया गया काम है और कानून के तय सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। वकील ने यह भी कहा कि निहत्थे शांतिपूर्ण नागरिकों के खिलाफ राजद्रोह का अपराध करना अधिकारों का दुरुपयोग है।

इस मामले पर आगे की सुनवाई 10 जनवरी तक स्थगित कर दी गई है। पाकिस्तान में कई राजनीतिक नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है।