केरल : भूस्खलन प्रभावित कवलपारा में शवों की तलाश जारी

मलप्पुरम, 15 अगस्त (आईएएनएस)| मलप्पुरम से करीब 50 किलोमीटर दूर कवलपारा में हुए भूस्खलन के एक हफ्ते बाद भी शवों को निकालने के लिए मशक्कत जारी है। कवलपारा के एक पहाड़ी क्षेत्र हुए भूस्खलन में मिट्टी के बड़े ढेर में काफी लोग दब गए थे। इसमें दबे लोगों के शव निकालने के लिए काफी लोग पिछले गुरुवार से ही ओवरटाइम काम कर रहे हैं। इसके अलावा मशीनों का भी सहारा लिया जा रहा है।

गांव के 75 एकड़ से अधिक क्षेत्र में हुए इस भयावह भूस्खलन में रबड़ के पेड़ों से घिरे कई घर मलबे में दब गए थे। भारी बारिश और भूस्खलन के बाद यह स्थान कीचड़ से भरा हुआ है।

यहां 45 घर तो पानी के साथ ही बह गए थे। इसके साथ ही इस संकरे क्षेत्र में लगभग 50 फीट तक मिट्टी जमा हो गई, जिससे 59 लोग इसमें जिंदा दफन हो गए।

हादसे के दो दिन बाद प्रशासन इस जगह तक पहुंचने में कामयाब हो सका। लगातार हो रही बारिश के कारण यहां तक पहुंचना काफी मुश्किल हो गया था, जिससे जीवित बचे लोगों के लिए बचने की आखिरी उम्मीद भी नहीं रही।

घटना के बाद से ही छोटी व बड़ी करीब दो दर्जन मशीनें काम पर लगी हुई हैं। इसके साथ ही सेना, राष्ट्रीय आपदा बल और स्थानीय लोग दलदल में फंसे शवों को निकालने के लिए कीचड़ और पेड़ों को हटाने का काम कर रहे हैं।

यहां गुरुवार को बरामद हुए तीन शवों सहित अभी तक कुल 33 शव निकाले जा चुके हैं। अभी भी यहां दबे 26 अन्य लोगों को निकाला जाना बाकी है।

इस बड़ी त्रासदी के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के साथ ही कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी मौके का मुआयना कर चुके हैं।

गुरुवार को राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के.टी. जलील ने कवलपारा में एक सर्वदलीय बैठक का नेतृत्व किया, जिसमें चर्चा की गई कि इस स्थिति से निपटने के लिए कैसे और क्या किया जाना चाहिए।

इस दौरान जलील ने कहा, “हम उन सभी लोगों के पुनर्वास को सुनिश्चित करेंगे जो अपने घरों को खो चुके हैं। हम एक एजेंसी को नए भवन निर्माण की जिम्मेदारी सौंपते हैं। शवों के लिए खोज अभियान तब तक चलेगा जब तक कि अंतिम शव बरामद नहीं हो जाता।”

इसी बीच पिछले कुछ समय से लगातार हो रही बारिश कम होने के बाद राज्य भर के राहत शिविरों में रह रहे लोगों को राहत मिली है।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारी बारिश के कारण राज्य में मरने वालों की संख्या 107 तक पहुंच गई है। राज्य के 14 जिलों में स्थापित 1,057 शिविरों में 1.75 लाख लोगों को रखा गया है।