अगर पार्टी पूर्ण बहुमत प्राप्त करती तो विजयन के नेतृत्व में वह अकेले दम पर सरकार बनाती, जो कि एक ऐतिहासिक पल होता।
140 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसमें अकेले माकपा की 68 सीटें हैं। यानी गठबंधन की जीत तो तय हो चुकी, मगर माकपा तीन और सीटें हासिल कर लेती तो वह खुद के दम पर बहुमत हासिल करती।
रविवार देश शाम तक सामने आए आंकड़ों से पता चला कि एलडीएफ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी को 68, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को 17, केरल कांग्रेस-मणि को पांच, जनता दल-सेकुलर और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रत्येक को दो-दो सीटें मिली हैं। इसके साथ ही जनता दल, द इंडियन नेशनल लीग, कांग्रेस-सेक्युलर, द रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी-एल और केरल कांग्रेस-बी को एक-एक सीट मिली हैं।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की बात करें तो इसमें कांग्रेस को 22, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 14, केरल कांग्रेस को दो और राष्ट्रवादी कांग्रेस केरल, केरल कांग्रेस-जैकब और क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी को एक-एक सीट हासिल हुईं हैं।
केरल में भाजपा को झटका लगा है, क्योंकि इसने जहां पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट हासिल की थी, वहीं इस बार भगवा पार्टी अपना खाता खोलने में विफल रही है।
2016 की विधानसभा में एलडीएफ ने 91 सीटें, यूडीएफ ने 47, भाजपा ने एक सीट जीती थी। इसके अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी।
–आईएएनएस
एकेके/एसजीके