कोविड के दौरान अनुसूचित जाति के लिए योजना से करीमीन की बंपर फसल

कोच्चि, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कोविड महामारी के दौरान मुश्किल दिनों में अनुसूचित जाति समुदाय के मछली पालक किसानों के एक समूह ने अपने पिंजरे मछली पालन उद्यम से मोती स्पॉट (करीमीन) की बंपर फसल के माध्यम से अच्छा मुनाफा कमाया।

पिंजरे की खेती अनुसूचित जाति समुदाय के लिए कोच्चि स्थित केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) की अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) के एक विशेष कार्यक्रम का हिस्सा थी।

मराडू में पुझायोरम नामक एक स्वयं सहायता समूह ने मराडू-नेत्तूर बैकवाटर में स्थापित 4 गुणा 4 मीटर वर्ग आकार के पिंजरे की मछली से 600 किलोग्राम मोती स्पॉट की उपज दर्ज की।

सीएमएफआरआई के प्रमुख वैज्ञानिक और परियोजना के प्रधान अन्वेषक के. मधु ने कहा कि कटी हुई मछली पूरी तरह से मौके पर ही बिक गई और क्षेत्र के अनुसूचित जाति परिवारों ने 10 महीने के लंबे समय से 2,73,000 रुपये का लाभ कमाया। पर्ल स्पॉट के 2000 बीजों का स्टॉक करके पिछले साल अक्टूबर में इसकी खेती शुरू हुई थी।

मधु ने कहा, कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, सीएमएफआरआई ने समूह को पूरी खेती अवधि के लिए पिंजरा, बीज, चारा और अन्य सहायक सुविधाएं प्रदान की थीं और संस्थान के शोधकर्ताओं ने खेती के सभी चरणों के दौरान किसानों का मार्गदर्शन किया था। पिंजरा तकनीक से खेती के उद्यम ने उन्हें कुछ हद तक अपनी आजीविका बनाए रखने में मदद की है।

कटाई के अवसर पर बोलते हुए, सीएमएफआरआई के निदेशक ए. गोपालकृष्णन ने कहा कि सीएमएफआरआई की पिंजरा पालन तकनीक और अन्य मछली पालन गतिविधियों ने एससी और एसटी परिवारों के विकास की गति को तेज करने की उनकी क्षमता को साबित किया है। संस्थान हमेशा छोटे पैमाने के उद्यमों के माध्यम से समाज के हाशिए के वर्गो को अपनी प्रौद्योगिकियों का विस्तार करके उन्हें सशक्त बनाने पर केंद्रित है।

–आईएएनएस

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