खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में अपनी छाप छोड़ने को बेताब हैं पवन

 भुवनेश्वर, 23 फरवरी (आईएएनएस)| चार साल पहले जब पवन ने अपने गांव धानसू में तीरंदाजी शुरू की थी तब किसी को इस खेल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बच्चे के तौर पर पवन ने हैंडबाल में हाथ आजमाया था।

 यहां तक वह फुटबाल खेले थे लेकिन किसी व्यक्तिगत खेल में किस्मत आजमाने को लेकर वह आश्वस्त नहीं थे। पवन ने कहा, “सबसे करीबी स्थान जहां मैं तीरंदाजी सीख सकता था, वह मेरे घर से 30 किलोमीटर दूर था। मैंने कुछ समय तक रोजाना इतनी दूरी तय की और फिर मेरे परिवार ने मेरा नामांकन कालायत के शिक्षा भारती स्पोटर्स स्कूल में कराने का फैसला किया।”

साल 2019 के यूनिवर्सिटी गेम्स रिकर्व चैम्पियन पवन की जिंदगी की परीक्षा यहीं खत्म नहीं हुई थी। पवन ने अपनी सोच से कहीं अधिक तेजी से सुधार किया लेकिन इसी बीच परिवार के सामने वित्तीय दिक्कतें आने लगीं और इस कारण उन्हें सबकुछ छोड़कर अपने गांव लौटना पड़ा था।

पंजाबी यूनिवर्सिटी तीरंदाजी टीम के कोच गौरव शर्मा ने कहा, “पहली बार मैंने पवन को दो या तीन साल पहले देखा था। वह प्रतिभाशाली और मेहनती थे और अपने खेल को लेकर काफी समर्पित थे। इसके बाद अचानक वह गायब हो गए। मुझे नहीं पता था कि वह कहां थे। उनके साथ क्या हुआ था, यह पता लगाने में मुझे कई महीने लग गए।”

खराब मौसम के कारण पवन के परिवार को काफी नुकसान हुआ था और इस कारण उनका परिवार कर्ज में आ गया था। पवन घर के बड़े बेटे थे और इस कारण परिवार को उनकी जरूरत थी। पवन ने परिवार की मदद के लिए कई तरह के काम किए। इन सबके बीच हालांकि तीरंदाजी उनके दिलो-दिमाग में बनी रही।

शर्मा ने कहा, “कुछ महीनों के बाद जब मैं पवन से मिला तो मैंने उसे भला-बुरा भी कहा। इसके बाद पवन ने मुझे बताया कि वह अपने लिए इक्विपमेंट खरीदने के लिए पैसे बचा रहे थे। वह घर पर ही प्रैक्टिस कर रहे थे। मुझे समझ नहीं आया कि क्या कहूं।”

पवन ने कहा, “मैं जब घर पर था तब मेरा परिवार भी कहता था कि मुझे खेल नहीं छोड़ना चाहिए। मेरे परिवार ने मेरा काफी साथ दिया है। घर पर काफी दबाव था बावजूद इसके मेरा परिवार मेरे साथ था।”

आर्चरी इवेंट्स के पहले दिन पवन ने 635 अंकों के साथ 32वां स्थान हासिल किया और अगले दौर के लिए क्वालीफाई किया। पवन ने कहा कि इस इवेंट में काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा है क्योंकि इसमें कई वल्र्ड क्लास तीरंदाज भी हिस्सा ले रहे हैं।

पवन ने कहा, “यहां दबाव से दूर रहने की जरूरत है। तीरंदाजी में जबरदस्त ध्यान की जरूरत होती है। इसमें दिमाग को लगभग मेडिटेशन की स्थिति में रखना होता है। आपको शांतचित्त रहना होता है और साथ ही संतुलन भी बनाए रखना होता है। इसके बाद ही सकारात्मक परिणाम आता है।”