छग के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को गिनाई समस्याएं, योजनाओं के लिए मांगी धनराशि

नई दिल्ली, 15 जून (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार के केंद्र में दोबारा सत्ता में आने से पहले से ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोदी सरकार पर हमलावर रही हैं। देश के अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों की भी तकरीबन यही स्थिति रही है। वे भी केंद्र सरकार से खुश नहीं हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उसी में शामिल हैं।

केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद आयोजित नीति आयोग की पहली बैठक में हिस्सा लेने आए मुख्यमंत्री बघेल ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यहां मुलाकात की और राज्य में केंद्र की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर आ रही अड़चनों से उन्हें अवगत कराया और उन योजनाओं के लिए समुचित राशि आवंटित करने का उनसे आग्रह किया।

छत्तीसगढ़ में सत्तासीन कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य के 70 लाख आदिवासियों, 58 लाख बीपीएल परिवारों और प्रदेश के सभी नागरिकों की तरफ से एक पत्र सौंपा और राज्य में विभिन्न योजनाओं के लिए राशि आवंटित करने सहित अन्य समस्याओं की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट किया।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को सौंपे पत्र में कहा है कि उन्होंने केंद्र सरकार के मंत्रियों को समय-समय पर नीतिगत व वित्तीय विषयों पर पत्र लिखे हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश समस्याओं का अभी तक निराकरण नहीं हुआ है।

बघेल के पत्र में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना के बारे में सबसे पहले जिक्र है। उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों को रसोई गैस का कनेक्शन उपलब्ध कराया जाता है। यह योजना गरीब परिवारों की महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है, “राज्य में उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 26.79 लाख कनेक्शन वितरित किए गए हैं। 2018 में केरोसिन का आवंटन 1.72 लाख किलोलीटर से घटाकर 1.15 लाख किलोलीटर कर दिया गया है। अत: केरोसिन का कोटा 1.15 लाख किलोलीटर से बढ़ाकर 1.58 लाख किलोलीटर किया जाना चाहिए।”

बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में जोर-शोर से शुरू की गई योजना ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का जिक्र किया और उसके लिए प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की मांग की है।

उन्होंने कहा है, “प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों(एलडब्ल्यूई) में 52,257 निजी पारिवारिक शौचालयों का निर्माण किया जाना शेष है। इन क्षेत्रों में शौचालय निर्माण हेतु 12,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 18,000 रुपये किए जाने की जरूरत है।”

इसके अलावा उन्होंने सामुदायिक शौचालयों की निर्माण लागत दो लाख रुपये को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की मांग की है।

कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई ‘महात्मा गांधी नरेगा’ को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार हमेशा हमलावर रही है। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने इस योजना को अभी तक बंद नहीं किया है। हालांकि कई राज्यों से इस योजना में खामियों और पर्याप्त राशि मुहैया नहीं कराने के मामले भी सामने आते रहते हैं।

बघेल ने पत्र में इस योजना के लिए पर्याप्त राशि मुहैया नहीं कराने की शिकायत की और कहा है, “महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत 2019-20 की प्रथम छमाही और 2018-19 की लंबित मजदूरी व सामग्री के लिए 2,525.63 करोड़ रुपये के प्रस्ताव के विरुद्ध केवल 1,150 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं।”

उन्होंने धान खरीदी के संबंध में कहा है, “राज्य सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 में भी समर्थन मूल्य से अधिक मूल्य(2500 रुपये प्रति कुंटल) पर धान खरीदी किए जाने की स्थिति में किसानों के हित को देखते हुए इसके लिए तय शर्तो में कुछ रियायतें प्रदान की जानी चाहिए।”

इसके साथ ही उन्होंने अरवा और उसना चावल को केंद्रीय पूल में मान्य करने की भी मांग की है।

मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री को बताया है कि प्रदेश में कुल 74,753 में से 37,549 जनजाति बाहुल्य बस्तियां विरल श्रेणी की हैं, जिनमें नलजल प्रदाय योजनाओं के माध्यम से पेयजल योजना क्रियान्वित करनी होगी, और इसके लिए करीब 5,632 करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता चरणबद्ध तरीके से होगी।

बघेल ने इस योजना के लिए केंद्र सरकार से शत-प्रतिशत अनुदान देने की मांग की है।

मुख्यमंत्री ने खनिज संपदा से परिपूर्ण इस राज्य में ‘कोल ब्लॉक्स’ की समस्या पर भी प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा है, “अन्य राज्यों के लिए शासकीय उपक्रमों के लिए आवंटित खदानों में 100 रुपये प्रति टन के स्थान पर 500 रुपये प्रति टन प्रीमियम दिया जाए और छत्तीसगढ़ राज्य को उत्पादित विद्युत का हिस्सा दिया जाए।”

मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ‘स्टैंड-अप इंडिया योजना’ की शुरुआत की थी। सरकार का उद्देश्य इस योजना के जरिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है।

मुख्यमंत्री ने राज्य में इस योजना के तहत बैंकों द्वारा सहयोग नहीं मिलने की बात कही है।

उन्होंने कहा है, “भारत सरकार की स्टैंड-अप योजना के अंतर्गत वर्ष 2016-17, 2017-18 व 2018-19 के लिए क्रमश: 4300, 4300, 4800 मामलों में छत्तीसगढ़ के बैंकों को ऋण देने के लिए कहा गया था। इस लक्ष्य के विरुद्ध केवल 1870 मामलों में केवल 438.35 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए और केवल 1279 मामलों में ही 160.29 करोड़ रुपये ऋण वितरित किए गए।”

उन्होंने इसके साथ ही प्रधानमंत्री को वन अधिकारों की मान्यता, वन अधिकार प्राप्त किसानों को सम्मान निधि, वंचित संस्थाओं को खाद्यान्न आवंटन, खाद्य अनुदान, प्रधानमंत्री आवास योजना(शहरी) के क्रियान्वयन में विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया है।