जापान के मियावाकी तकनीक से विकसित होंगे काशी में जंगल

वाराणसी, 24 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी को क्योटो बनाने की मुहिम रंग लाने लगी है। जापान की मियावाकी तकनीक से वाराणसी के उंदी गांव में प्रकृति प्रेमियों के लिए जंगल विकसित होगा। जिससे यहां के लोगों को अपने शहर के जंगल का भरपूर आनंद मिल पाएगा। साथ ही पर्यावरण संरक्षण को मदद मिलेगी और ईको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा।

वाराणसी मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर उंदी गांव में पर्यावरण पर्यटन के लिए जंगल विकसित किये जाने की योजना पर योगी सरकार अब तेजी से काम कर रही है। जापान की मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल इस नेचुरल फॉरेस्ट को बनाने में किया जाएगा। इस क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त रखे जाने के साथ पर्यावरण संरक्षण बनाए रखने के लिए वेट लैंड (वॉटर बॉडी) कम फॉरेस्ट के रूप में विकसित हो रहा है।

वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया कि इसके लिए विकास प्राधिकरण ने प्रस्ताव बनाकर पर्यटन विभाग के पास भेजा है। प्रस्तावित वन क्षेत्र वाराणसी से जौनपुर मुख्य मार्ग से गाजीपुर रोड वाली रिंग रोड बाईपास से करीब 6 किलोमीटर दूर है। उंदी गांव के इस क्षेत्र के करीब 36,़225 हेक्टेयर में नेचुरल फॉरेस्ट विकसित किया जायेगा, जिसकी लगभग 4़3 किलोमीटर की फेंसिंग का काम शुरू हो चुका है, जो जुलाई तक पूरा हो जाएगा।

वाराणसी में नेचर लवर्स के लिए ईको टूरिज्म या अल्टरनेटिव टूरिज्म के लिए ये पहली जगह होगी, जो जापान की मियावाकी तकनीक पर आधारित होगी व पर्यावरण संरक्षण में काफी मददगार साबित होगी।

उन्होंने इसकी खासियत बताते हुए कहा कि बांस के वृक्षों की नेचुरल फेंसिंग के बीच जंगल का प्राकृतिक रूप ऐसा होगा कि आप प्राकृतिक सौन्दर्य का पूरा आनंद ले पाएंगे। पहले से मौजूद करीब 5 से 6 तालाबों को विकसित किया जा रहा है, जहां पर्यटकों को प्रवासी पक्षियों की चहक सुनाई देगी। साईकिलिंग के लिए ट्रैक, पैदल पथ, वैटलैंड, बर्ड डाइवर्सिटी जोन, यहां लकड़ी के पुल से आप प्राकृतिक झीलों के साथ लोटस पॉन्ड व पुष्प तालाब पार कर सकेंगे, जहां कई किस्म के फूल के सुगंध ले सकेंगे। पुष्पों की एक बड़ी वाटिका होगी जहां सभी किस्म के फूलों की सुंगंध बिखरेगी। हर्बल गार्डन होगा। इसके अलावा प्रकृति की गोद में वाच टॉवर पर बैठकर आप जंगल का नजारा भी देख सकेंगे, बर्ड वाचिंग प्वाइंट होगा। नेचर फोटोग्राफ्री करने वालों के लिए ये जगह वरदान साबित होगी। पर्यटक घने जंगल के बीच चिड़ियों की चहक के साथ बोटिंग का लुत्फ ले सकेंगे। पर्यटकों को योग करने के लिए एक खास जगह होगी, प्रकाश के सोलर एनर्जी का प्रयोग किया जायेगा, फूड कोर्ट में लोग काशी के लजीज व्यंजनो का लुत्फ ले सकेंगे।

जापान की मियावाकी तकनीक से 10 गुना तेजी से पौधे विकसित होते हैं व 30 गुना ज्यादा घने जंगल बन जाते हैं। बायोडाइवर्स व ऑर्गनिक महत्व भी 100 गुना बढ़ जाता है। इस तकनीक में पानी का भी कम इस्तेमाल होता है। हवा की क्वालिटी अच्छी हो जाती है। मियावाकी तकनीक में पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जंगल का पूरा ईको सिस्टम विकसित होता है। पेड़ पौधे,जीव जंतु पशु पक्षी इस ईको सिस्टम में स्वत: ही आ जाते हैं। जापान के वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी के नाम पर इस तकनीक का नाम मियावाकी पड़ा है।

–आईएएनएस

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