डीडीसीए चुनावं लड़ने वाले मिस्ट्री मैन ने सबको चौंकाया

नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के चुनावों में निदेशक पद के लिए खड़े हुए मिस्ट्री मैन के नाम से मशहूर प्रदीप कुमार अरोड़ा ने कहा है कि बिना किसी ग्रुप से आते हुए उन्होंने 92 वोट हासिल करते हुए इतिहास रचा है।

पेशे से बीमा व्यवसायी अरोड़ा निदेशकों के चार पदों के खड़े हुए नौ उम्मीदवारों की सूची में सबसे नीचे रहे। उन्होंने कहा कि अगर वह बिनी किसी ग्रुप से आते हुए, बिना पैसे खर्च किए हुए इतने वोट हासिल कर सकते हैं तो वह अगले साल और बेहतर कर सकते हैं।

डीडीसीए के पूर्ण चुनाव, जिनमें पूरे 12 निदशकों के पद के लिए चुनाव होंगे, वह अगले साल जून में होंगे।

डीडीसीए के एक सीनियर अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, अरोड़ा ने जब अपना नामांकन दाखिल किया था तो कोई नहीं जानता था कि वह कौन हैं। वह इन दो बड़े ग्रुपों में से नहीं थे जिन्होंने चुनाव लड़ा।

इन्हीं डीडीसीए सदस्य ने बताया कि यह प्रदीप कुमार चुनावों से पहले अपना नामांकन वापस लेना चाहते थे, लेकिन वह इससे संबंधी डेडलाइन भूल गए और नामांकन वापस नहीं ले सके।

डीडीसीए सदस्य ने कहा की प्रदीप कुमार को इस बात का ध्यान दिलाया गया था कि चुनावों से नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 17 अक्टूबर है और इस दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच ही नामांकन वापस लिया जा सकता है, लेकिन उन्होंने कहा कि वह फिरोजशाह कोटला स्थित डीडीसीए मुख्यालय से वह काफी दूर हैं और तय समय तक वहां नहीं पहुंच पाएंगे।

प्रदीप ने आईएएनएस से कहा, नामांकन वापस लेने की तारीख के दिन मेरे पास एक बजे किसी का फोन आया और उन्होंने कहा कि वह फिरोजशाह कोटला में मेरा इंतजार करेंगे। मैंने कहा कि एक बजे की डेडलाइन खत्म हो चुकी है। मैंने उनसे कहा कि मैं चुनाव लडूंगा अगर मैं लड़ना नहीं चाहता तो 92 वोट कैसे मिलते?

अरोड़ा ने कहा कि लोग उनके बारे में भ्रामक बातें फैला रहे हैं। उन्होंने कहा, लेकिन कोई बात नहीं। मैं इस बार अगर बिना पैसा खत्म किए इतने वोट हासिल कर सकता हूं तो अगली बार मुझे ज्यादा वोट मिलेंगे। मैंने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे। मैं किसी ग्रुप से नहीं जुड़ा था। जब इतिहास लिखा जाएगा तो वो कहीं से तो शुरू होगा। मैंने इतिहास रचा है।

दो ग्रुपों में से किसने अरोड़ा के खिलाफ भ्रामक बातें फैलाई? इस बारे में उन्होंने कहा, मैं इस बारे में आश्वस्त होकर कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि मुझे नहीं पता कि इसकी शुरुआत किसने की थी। उम्मीदवार के तौर पर मेरा नाम अखबारों में आया, डीडीसीए की वेबसाइट पर भी है। यह बैलट पेपर में भी था। मैं 1996 से डीडीसीए सदस्य हूं।

डीडीसीए के सदस्य ने अरोड़ा को इतने वोट मिलने के पीछे एक अजीब कारण बताते हुए कहा, अरोड़ा का पहला नाम प्रदीप है, इसी नाम के प्रदीप अग्रवाल हैं। बैलट पेपर में भी अरोड़ा का नाम प्रदीप अग्रवाल से ऊपर था। इसलिए शायद जो लोग प्रदीप अग्रवाल को वोट देना चाहते थे, उन्होंने प्रदीप अरोड़ा को दिया।

अरोड़ा ने इस कारण को बेतुका बताते हुए कहा, मैं 1996 से डीडीसीए का सदस्य हूं। मैं 1995 से रोशनआरा क्लब का भी सदस्य हूं। दोनों क्लबों में 140-150 सदस्य समान हैं। इसलिए अगर मुझे 92 वोट मिले हैं तो लोगों को हैरान नहीं होना चाहिए।

–आईएएनएस

एकेयू/एसजीके