नायडू ने लिखा, 17 अप्रैल को तिरुपति लोकसभा सीट के लिए हुआ उपचुनाव आंध्रप्रदेश के चुनावी इतिहास में अबतक का सबसे संदिग्ध और अलोकतांत्रिक चुनाव है।
उन्होंने आरोप लगाया कि टीडीपी ने रिटनिर्ंग ऑफिसर, मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), चुनाव पर्यवेक्षकों और भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को कई शिकायतें दीं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि स्थानीय चुनाव अधिकारियों ने सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी के साथ सहानुभूति या सहयोग किया और उनके आदेशों का पालन किया।
पूर्व मुख्यमंत्री के अनुसार, 2019 के आम चुनावों की तुलना में उपचुनाव में कम मतदान हुआ।
उन्होंने कहा कि संसदीय क्षेत्र में 2019 में 79.46 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि यह घटकर 64.29 प्रतिशत रह गया।
नायडू ने दावा किया कि जब तिरुपति संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई, तो मतदाता 15.17 प्रतिशत कैसे कम हो गए। कई अध्ययनों से पता चला है कि मतदान केंद्रों के विवरणों की कमी और हिंसा की आशंका की वजह से लोगों ने कम वोट डाले।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि चुनाव में धांधली करने के लिए पास के कुरनूल और कडप्पा जिलों से शुक्रवार की रात और शनिवार की सुबह, हजारों बाहरी लोग, वाईएसआरसीपी के गुर्गे निर्वाचन क्षेत्र में उतरे।
नायडू ने सीईसी को अपने आरोपों का विस्तृत विवरण दिया, जिसमें दावा किया गया कि टीडीपी उम्मीदवार पनाबका लक्ष्मी और भाजपा की शांता रेड्डी ने फर्जी मतदाताओं को रंगे हाथ पकड़ा।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने तिरुपति विधानसभा क्षेत्र में दोबारा उपचुनाव कराने की मांग की है।
–आईएएनएस
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