तहलका के पूर्व इन-चीफ तरुण तेजपाल पर 2013 में एक जूनियर सहयोगी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए बलात्कार के आरोप हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एससी गुप्ते की एकल पीठ ने कहा कि इससे पहले कि आदेश को सार्वजनिक देखने के लिए अदालत के ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाए, निर्णय में परिवर्तन तीन दिनों में किया जाना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अतिरिक्त द्वारा आदेश जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी में पीड़िता के पति और उसकी ईमेल आईडी के संदर्भ हैं।
अदालत अब दो जून को तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई कर सकती है।
गोवा कोर्ट के एक फैसले के अनुसार, पीड़िता की ना बताने की सामान्य स्थिति, दो बार कथित यौन उत्पीड़न के बाद, घटिया पुलिस जांच और उसके बयान में एक एकमुश्त झूठ कुछ ऐसे कारण थे, जिनके कारण तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल शिष्टाचार संदेह का लाभ से बरी हो गए।
अतिरिक्त जिला और सत्र उत्तर गोवा न्यायाधीश क्षमा जोशी ने अपने फैसले में पीड़िता, उसकी मां और भाई के बयानों के साथ-साथ होटल के सीसीटीवी फुटेज के संदर्भ में पीड़िता द्वारा दिए गए बयान में भी गंभीर विरोधाभास को रेखांकित किया था। जहां कथित अपराध नवंबर 2013 में हुआ था।
तेजपाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 341 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत तरीके से बंदी बनाना) 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354बी (आपराधिक हमला) के तहत आरोप लगाए गए थे।
–आईएएनएस
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