दमोह विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवार का चयन भाजपा के लिए आसान नहीं

भोपाल, 28 जनवरी (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में आगामी समय में दमोह विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव के लिए भाजपा को उम्मीदवार का चयन आसान नहीं रहने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व विधायक राहुल लोधी बड़े दावेदार हैं तो साथ ही पूर्व मंत्री जयंत मलैया भी दावेदारी ठोक रहे हैं।

राहुल लोधी वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए थे, मगर उन्होंने पिछले दिनों विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने उन्हें वेयरहाउस कॉरपोरेशन का अध्यक्ष बनाया है, साथ ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया है।

भाजपा आगामी उप चुनाव में लोधी को अपना उम्मीदवार बनाने का लगभग मन बना चुकी है, मगर पार्टी के सामने बड़ी चुनौती पूर्व मंत्री और राहुल लोधी से चुनाव हारने वाले जयंत मलैया खड़ी करते नजर आ रहे हैं। भाजपा ने आगामी उपचुनाव के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया गया है।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राहुल लोधी लगभग दो माह तक अपने विधानसभा क्षेत्र दमोह नहीं गए, मगर पिछले दिनों जब दमोह पहुंचे तो उनका विरोध भी खूब हुआ। इतना ही नहीं पार्टी के उप चुनाव प्रभारी व प्रदेश सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह की मौजूदगी में हुई पार्टी की बैठक में भी उम्मीदवारी का मसला छाया रहा। मलैया के समर्थन में नारे भी लगे। इस मौके पर भूपेंद्र सिंह को यहां तक कहना पड़ा कि भाजपा के लोग पार्टी के लिए काम करते हैं, किसी व्यक्ति के लिए नहीं।

दमोह से लगातार सात बार चुनाव जीतने के बाद पिछले विधानसभा चुनाव में हारने वाले जयंत मलैया चुनाव लड़ने की तैयारी में है और इसके लिए अपने समर्थकों के साथ बैठक भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने जनसंपर्क भी किया है। यही स्थिति पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। पार्टी के लिए आपसी समन्वय बनाकर सर्वमान्य उम्मीदवार का चयन आसान नहीं रहने वाला है।

दमोह के भाजपा कार्यकर्ता राहुल लोधी के पार्टी में शामिल होने और उन्हें संभावित उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर खुश नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे नेता और कार्यकर्ता अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं, जो वर्षो से पार्टी के लिए काम करते आ रहे हैं। उन्हें अपने भविष्य की चिंता भी सताने लगी है।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि दमोह में उम्मीदवार का चयन भाजपा के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि मलैया की राष्ट्रीय स्तर पर पकड़ मजबूत है, उनके प्रमुख नेताओं से नजदीकी रिश्ते हैं, तो वहीं पार्टी को राहुल लोधी से दलबदल कराने के समय जो वादा किया था, उसे पूरा करना है। राहुल लोधी तो चुनाव लड़ने का ऐलान तक कर चुके हैं। दूसरी ओर मलैया भी तैयारी में हैं। मलैया अपने बेटे के लिए सियासी जमीन तैयार करना चाहते हैं, इस स्थिति में अगर लोधी को उम्मीदवार बनाया जाता है और उनके खाते में जीत आती है तो मलैया परिवार की सियासी पारी पर कुहासा गहरा जाएगा, लिहाजा मलैया कम से कम ऐसा तो नहीं होने देंगे।

–आईएएनएस

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