दुनिया भर की 42 फीसदी कंपनियों को नहीं मिल रहे प्रतिभाशाली इंजीनियर

नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)| दुनिया भर की 42 प्रतिशत कंपनियों को प्रतिभाशाली इंजीनियर नहीं मिल पा रहे हैं, जबकि 20 प्रतिशत कंपनियों ने किसी इंजीनियर के पद को भरने में लगने वाले समय को प्राथमिक चुनौती बताया है। प्रतिभा का आकलन करने वाली कंपनी मर्सरमेटल द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि 32 प्रतिशत कंपनियों के पास भर्ती प्रक्रिया के सभी चरण में आकलन के प्रभावी तौर-तरीके अपनाने के लिए उपकरणों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है।

टेक हायरिंग एंड टेक्न ॉलॉजी अडॉप्शन ट्रेंड्स 2019 शीर्षक वाले सर्वेक्षण में कहा गया है कि 24 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बजट के अभाव को दूसरा कारण बताया है।

मर्सर/मेटल के सीईओ सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा, “चूंकि हर कोई ऑटोमेशन पर सवार हो रहा है, लिहाजा कंपनियां प्रतिभाशाली इंजीनियरों की भर्ती में काफी कठिनाई महसूस कर रही हैं। यह ज्यादातर प्रौद्योगिकी प्रेरित सर्वेश्रेष्ठ परंपराओं के बारे में अपर्याप्त ज्ञान और मांग व आपूर्ति के बीच बढ़ रहे अंतर के कारण है।”

बड़ी बात यह कि 12 प्रतिशत कंपनियों के पास योग्यता मापने की कोई रूपरेखा नहीं है और लगभग 21 प्रतिशत कंपनियां अभ्यर्थियों के चयन के लिए साक्षात्कार पर निर्भर होती हैं।

सिर्फ 18 प्रतिशत कंपनियां रेज्यूम्स छांटने के लिए स्मार्ट एआई- आधारित प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करती हैं। बाकी कंपनियां आवेदनों को छांटने के लिए समय खपाऊ तरीकों पर निर्भर होती हैं।

इससे न केवल अधिक समय लगता है, बल्कि पूरी भर्ती प्रक्रिया की सफलता दर भी घट जाती है।

अभ्यर्थियों का मूल्यांकन करते समय 20 प्रतिशत संगठनों के लिए, आवश्यक प्रौद्योगिकी कौशल में निपुणता शीर्ष मापदंड में शामिल होती है।

दूसरी ओर 18 प्रतिशत कंपनियां अभ्यर्थियों का परीक्षण इस आधार पर करती हैं कि जरूरत के मुताबिक उनका कौशल बढ़ा लिया जाएगा। इस मामले में संज्ञानात्मक क्षमता और सीखने की चपलता मूल्यांकन के आधार होते हैं।

मर्सर/मेटल की फिलहाल 80 से अधिक देशों में 2,000 से अधिक वैश्विक कंपनियों, 31 सेक्टर स्किल काउंसिल्स और 15 से अधिक शैक्षिक संस्थानों के साथ साझेदारी है।

मर्सर ने 2018 में मेटल का अधिग्रहण किया था।