दो से ज्यादा बार मांगी जानकारी तो होगी आपराधिक कार्रवाई

महावितरण का अजीबोगरीब फरमान

पुणे: पुणे समाचार ऑनलाइन
आरटीआई याने सूचना अधिकार, उसका दुरुपयोग, इसके लिये हर सरकारी महकमे के अलग अलग फरमान हमेशा ही चर्चा का विषय रहे हैं। ऐसे ही एक अजीबोगरीब फरमान को लेकर महावितरण फिलहाल चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें अगर कोई दो से ज्यादा बार आरटीआई के तहत जानकारी मांगता है तो उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की बात शामिल है। इस पर आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा कड़ी नाराजगी व आपत्ति जताई जा रही है।

यह फरमान महावितरण के पुणे परिमंडल द्वारा जारी किया गया है। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले को आधार माना गया है, जिसमें आरटीआई के दुरुपयोग पर फौजदारी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। महावितरण का कहना है कि कुछ लोग अधिकारी व अभियन्ताओं को बेवजह सताने के लिए आरटीआई के तहत अर्जी देकर उनकी निजी जानकारी मांगते हैं। इसमें महावितरण का बेवजह वक़्त और पैसा खर्च होता है। इसके अलावा मानसिक तकलीफ जो होती है दो अलग। इसकी रोकथाम हेतु महावितरण के पुणे परिमंडल ने एक परिपत्र जारी किया है, जिसमें बार बार केवल तकलीफ पहुंचाने के इरादे से कोई आरटीआई कानून का दुरुपयोग करता हो तो उसके खिलाफ फौजदारी कारवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

इस पर वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने कड़ी नाराजगी व आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि, आरटीआई के दुरुपयोग के उदाहरण अपवादात्मक हालातों में ही मिले हैं। हांलाकि उसका प्रमाण आज तक किसी ने नहीं दिया। इसके विपरीत सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा इस कानून का दुरुपयोग करने के कई उदाहरण लगातार सामने आए हैं। उदाहरण के तौर पर धारा 4 की अमलबाजी न करना, जानकारी देने से मना करना, गलत व भ्रामक जानकारी देना, सूचना आयोग व अदालत के आदेशों का गलत व अपनी सहूलियत के अनुसार इस्तेमाल करना। आरटीआई कानून में आवेदनकर्ता को। अर्जी देने में आनेवाली दिक्कतें दूर करना भी सूचना अधिकारी का जिम्मा है। ऐसा आज तक कहीं नजर नहीं आया। उल्टे लोगों के अधिकारों का हनन करने में सरकारी महकमे आगे पीछे नहीं देखते। सर्वोच्च न्यायालय व सूचना आयोग का आदेश निजी जानकारी मांगने के मामलों में है न कि सभी मामलों में। मगर महावितरण सभी मामलों में दो से ज्यादा बार जानकारी मांगने पर फौजदारी कार्रवाई के आदेश दिये हैं।