धर्मांतरण के ज्यादा मामले सिंध में : पाकिस्तानी संसदीय समिति

इस्लामाबाद, 18 जनवरी (आईएएनएस)| पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को जबरन धर्मातरण से बचाने के लिए गठित संसदीय समिति ने कहा है कि इस तरह के ज्यादातर मामले सिंध प्रांत में देखने को मिल रहे हैं। संसदीय समिति ने पाया कि कुछ धार्मिक समूह भी आपराधिक रणनीति के माध्यम से नाबालिग लड़कियों का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने शुक्रवार को इस्लामाबाद स्थित संसद भवन में बैठक की और इस मुद्दे पर छह महीने में अपने सुझावों को अंतिम रूप देने का फैसला किया।

समिति के अध्यक्ष सीनेटर अनवारुल हक काकर ने कहा कि यह मुद्दा संवेदनशील, गंभीर व जटिल है और समिति इस मामले की पर्याप्त जानकारी हासिल करने के लिए सभी पहलुओं का पता लगाएगी।

उन्होंने कहा, “दुनियाभर में किसी भी दूसरी चीजों की तुलना में धर्म के नाम पर लोगों की मौत ज्यादा होती है। हमें सतर्क रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को राज्य के साथ ही संसद द्वारा भी संरक्षित किया जाए।”

सीनेटर काकर ने कहा, “इस स्थिति का सबसे जटिल हिस्सा यह है कि जबरन धर्म परिवर्तन को भी धार्मिक समूहों द्वारा वैध धर्म परिवर्तन माना जाता है, जिसमें जमात-ए-इस्लामी, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम शामिल हैं। सिंध के मियां मिट्ठू जैसे लोग और यहां तक कि तब्लीगी जमात भी इसमें शामिल है।”

इसके साथ ही धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूरुल हक कादरी और संसद के दोनों सदनों के सदस्यों की समिति ने स्वीकार किया कि धर्मातरण के कई मामले गलत या झूठे भी रहे हैं।

मंत्री ने कहा, “लेकिन यह एक मुद्दा है और हम इसे नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हैं।”

इस दौरान समिति ने सभी प्रांतों का दौरा किए जाने और प्रांतीय, जिला सरकारों, नागरिक प्रशासन और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित करने का फैसला किया, ताकि जबरन धर्मातरण के संबंध में पता लगाने के साथ ही सतर्कता बरतने के लिए भी एक प्रणाली तैयार की जा सके।

सीनेटर काकर ने कहा, “हम इस संबंध में सिंध में सभी राजनीतिक दलों के साथ एक विस्तृत बैठक करेंगे और संवेदनशील इलाकों में सार्वजनिक सुनवाई की व्यवस्था भी करेंगे।”