पराक्रम दिवस का अर्थ नहीं समझती, हम इसे देशनायक दिवस कहते हैं: ममता बनर्जी

कोलकाता, 23 जनवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के पैतृक आवास का औचक दौरा किया। यहां उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा 23 जनवरी को पराक्रम दिवस घोषित करने के निर्णय की जमकर आलोचना की।

उन्होंने कहा कि मैं पराक्रम दिवस का अर्थ नहीं समझती हूं। हमलोग इस दिवस को देशनायक दिवस के रूप में मनाते हैं।

इससे पूर्व ममता बनर्जी ने अपने एक ट्वीट संदेश में कहा कि राज्य सरकार इस अवसर को देशनायक दिवस के रूप में मनाती है। नेताजी एक सच्चे नेता थे जो सभी लोगों की एकता में दृढ़ विश्वास रखते थे।

उन्होंने कहा, क्या आप जानते हैं कि हमलोग इस दिन को देशनायक दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं – ऐसा इसलिए है क्योंकि रवींद्रनाथ टैगोर नेताजी को इसी नाम से बुलाते थे। नेताजी को भावनाओं के साथ समझा जाना चाहिए। बहुत कम लोग ऐसे थे जिन्हें अपनी मातृभूमि से उतना ही प्रेम था, जितना कि नेताजी को था। हालांकि हमलोगों को उनकी जन्मतिथि के बारे में तो पता है, लेकिन उनकी मृत्यु को लेकर विस्तृत जानकारी से हम अनभिज्ञ हैं।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके अदम्य साहस व शौर्य को सम्मान देने के लिए 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था।

बहरहाल, ममता बनर्जी ने कहा कि नेताजी को किसी के दया की कोई आवश्यकता नहीं है। पश्चिम बंगाल सरकार ने समूचे प्रदेश में साल भर (23 जनवरी, 2022 तक) चलने वाले समारोह के आयोजन के लिए एक समिति बनाई है। सरकार ने आजाद हिन्द फौज के नाम पर राजारहाट में एक स्मारक बनाने का भी ऐलान किया है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नेताजी के नाम पर एक विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है और इसके निर्माण में आने वाला सारा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। इस विश्वविद्यालय का विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ भी सामंजस्य होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कोलकाता में आयोजित होने वाला गणतंत्र दिवस परेड नेताजी को समर्पित रहेगा।

–आईएएनएस

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