प्रज्ञा ने विवादास्पद बयान पर लोकसभा में मांगी माफी (लीड-1)

नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर उनके द्वारा की गई टिप्पणी के लिए शुक्रवार को लोकसभा में माफी मांगी। प्रज्ञा ने कहा कि अगर उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो वह माफी मांगती हैं। इसके साथ ही उन्होंने सफाई दी कि उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी भोपाल की सांसद ने बाद में कहा कि वह देश के लिए महात्मा गांधी की सेवा का सम्मान करती हैं। उन्होंने अपने बयान की व्याख्या करने के तरीके की निंदा भी की।

प्रज्ञा ने अपने ताजा बयान में कहा, “मैंने 27 नवंबर को एसपीजी विधेयक पर चर्चा के दौरान नाथूराम गोडसे को देशभक्त नहीं कहा। मैंने उनका नाम नहीं लिया, फिर भी अगर किसी को ठेस पहुंची है, तो मुझे उसका खेद है और मैं माफी मांगती हूं।”

ठाकुर ने इस मुद्दे पर अधिक बोलने की कोशिश की, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें अनुमति नहीं दी।

प्रज्ञा ने प्रारंभ में माफी के साथ आरोप लगाया कि उनके बयान को गलत तरीके से तोड-मरोड़ कर पेश किया गया, जिसके बाद सदन में फिर हंगामा शुरू हो गया, और विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे, जो आधा घंटा से अधिक समय तक चला।

प्रज्ञा ने कहा, “अगर मेरे द्वारा सदन में दिए गए किसी भी बयान से किसी भी व्यक्ति को ठेस पहुंची है तो मैं खेद प्रकट करते हुए माफी मांगती हूं। लेकिन मैं यह भी कहना चाहती हूं कि संसद में दिए गए मेरे बयान को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।”

उन्होंने कहा, “जिस तरह से मेरा बयान पेश किया गया, वह निंदनीय है। मैं देश के लिए महात्मा गांधी द्वारा की गई सेवा का सम्मान करती हूं।”

ठाकुर ने यह भी याद दिलाया कि सदन के एक वरिष्ठ सदस्य ने उन्हें सार्वजनिक रूप से आतंकवादी कहा और पिछली सरकार ने उनके खिलाफ साजिश रच कर उन्हें यातनाएं दी।

प्रज्ञा ने कहा, “सदन के एक वरिष्ठ सदस्य ने मुझे सार्वजनिक रूप से आतंकवादी कहा। मेरे खिलाफ तत्कालीन सरकार द्वारा रची गई साजिश के बावजूद अदालत में कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ है।”

उन्होंने कहा, “मुझे दोषी साबित किए बिना आतंकवादी कहना कानून के खिलाफ है। यह एक महिला के रूप में, एक संत के रूप में और एक संसद सदस्य के रूप में मेरा अपमान करने की कोशिश है।”

प्रज्ञा ठाकुर ने यह माफी तब मांगी, जब इसके पहले पूरे विपक्ष ने सदन में काफी हंगामा खड़ा किया था और उनसे माफी की मांग की थी। कांग्रेस, तेदेपा, आरएसपी, डीएमके, बसपा और सपा के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास पहुंच गए और उन्होंने बिना शर्त माफी की मांग की और ‘महात्मा गांधी की जय’, ‘डॉउन डाउन गोडसे’, ‘डॉउन डॉउन भाजपा’ के नारे लगाए।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ठाकुर से बिना शर्त माफी की मांग की और उनके बयान को सदन को गुमराह करने की कोशिश बताया।

संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि “ठाकुर ने अपने पहले ही वाक्य में माफी मांग ली है, और इसलिए माफी के बाद इस तरह का आचरण उचित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर माफी मांग ली और महात्मा गांधी के प्रति अपना सम्मान जाहिर किया।”

प्रज्ञा के माफी मांगने से एक दिन पहले गुरुवार को कांग्रेस नेता चौधरी, डीएमके के दयानिधि मारन और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन.के प्रेमचंद्रन के साथ अन्य सांसदों ने ठाकुर को प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक पत्र सौंपा था, जिसपर 50 सांसदों के हस्ताक्षर थे।

हालांकि भाजपा नेतृत्व ने गुरुवार को ही ठाकुर की टिप्पणी पर उन्हें दंडित किया और उन्हें रक्षा मंत्रालय की सलाहकार समिति से हटा दिया और मौजूदा शीतकालीन सत्र में उन्हें पार्टी संसदीय दल की बैठकों में शामिल नहीं होने से भी रोक दिया।