प्रधानमंत्री आवास योजना के टेंडर में गोलमाल

पिम्परी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चरहोली और रावेत में 220 करोड़ 75 लाख रुपये की परियोजना खटाई में पड़ने के आसार तेज हो चले हैं  इसकी टेंडर प्रक्रिया में रिंग होने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दल के नेता योगेश बहल ने टेंडर प्रक्रिया में सरकारी आदेश की उलाहना किये जाने का खुलासा किया है। इसके टेंडर रद्द करने की मांग करते हुए बहल ने अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।

पिम्परी चिंचवड मनपा द्वारा चरहोली और रावेत में 220 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से 2376 घरों की परियोजना चलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए 1.82 फीसदी ज्यादा दरों से टेंडर मंजूर किये गए हैं। इसके प्रस्ताव कल (मंगलवार) स्थायी समिति के समक्ष मंजूरी हेतू पेश किया जा रहा है। गरीब तबके के अपने घर का सपना पूर्ण करने वाली यह परियोजना सत्ताधारी भाजपा के लिये महत्वाकांक्षी मानी जा रही है। अब इसकी टेंडर प्रक्रिया में रिंग होने का आरोप लगाए जाने से यह परियोजना विवादों में घिरती नजर आ रही है।

विपक्षी दल के नेता योगेश बहल ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य सरकार के लोकनिर्माण विभाग द्वारा 12 अप्रैल 2017 को जारी किए उस अध्यादेश का स्मरण कराया है, जिसमे 100 करोड़ से ज्यादा मूल्य के टेंडर के लिये पहले 75 से 90 और दूसरी बार 45 दिनों की मोहलत देने की बात स्पष्ट की है। बहल का कहना है कि, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चरहोली, रावेत और मोशी बोरहाड़ेवाड़ी में आवासीय योजना के टेंडर प्रक्रिया में सरकार के इस आदेश की सरेआम उलाहना की गई है। इसके ई टेंडर हेतु पहले 28 व बाद में मात्र 7 दिन की मोहलत दी गई है।

बहल का आरोप है कि इस गोलमाल हेतु मनपा के मुख्य लेखपाल, मुख्य लेखा परीक्षक, शहर अभियंता के साथ मनपा आयुक्त की भी मूक सन्मति है। 1.82 फीसद ज्यादा दर से टेंडर मंजूर करना रिंग के स्पष्ट संकेत देता है। सबसे अहम बात रावेत के सर्वे नम्बर 96 में सरकारी चारागाह की जिस जमीन पर योजना प्रस्तावित है, वह जमीन मनपा के कब्जे में नहीं है। स्थायी समिति की सभा हर सप्ताह होती है फिर कल की सभा में प्रस्ताव लाने की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने दोनों टेंडर रद्द करने और पूरे मसले पर जवाब देने की मांग मनपा आयुक्त श्रवण हार्डिकर से की है।