मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने 20 लाख रुपये का जुर्माने और बियानियों के खिलाफ उस कारण बताओ नोटिस पर भी रोक लगा दी, जिसके माध्यम से उनसे पूछा गया था कि उन्हें उन्हें नागरिक हिरासत में क्यों नहीं रखा जाना चाहिए।
अदालत एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ फ्यूचर की अपील पर सुनवाई कर रही थी।
18 मार्च को जस्टिस जेआर मिड्ढा ने फ्यूचर रिटेल को अमेजन की याचिका पर रिलायंस के साथ समझौते पर आगे बढ़ने से रोक दिया था। यह जेफ बेजोस के नेतृत्व वाली कंपनी के लिए एक बड़ी जीत थी।
फ्यूचर ग्रुप जनवरी से अमेजन के साथ एक कानूनी लड़ाई में उलझा हुआ था, जिसके बाद अमेजन ने दिल्ली हाई कोर्ट में फ्यूचर ग्रुप संपत्ति को आरआईएल को बेचे जाने को चुनौती दी थी।
अदालत से इस आधार पर संपर्क किया गया था कि परिसंपत्ति बिक्री ने एक अनुबंध का उल्लंघन किया है।
इसमें आरोप लगाया गया था कि फ्यूचर ग्रुप के किशोर बियानी के साथ-साथ अन्य प्रवर्तक और निर्देशक मध्यस्थता की कार्यवाही में उनकी भागीदारी के बावजूद जानबूझकर और दुर्भावनापूर्वक इमरजेंसी अवार्ड की अवहेलना कर रहे थे।
आदेश में, जस्टिस मिड्ढा ने फ्यूचर ग्रुप के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इमरजेंसी अवार्ड एक शून्यता है और 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा किया जाना था।
अदालत ने कहा था कि फ्यूचर रिटेल, फ्यूचर कूपन, किशोर बियानी और अन्य ने अवार्ड का उल्लंघन किया। बियानी और अन्य को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया कि उन्हें नागरिक हिरासत में क्यों नहीं रखा जाना चाहिए। जज ने फ्यूचर ग्रुप को निर्देश दिया था कि वह रिलायंस के साथ डील को आगे नहीं बढ़ाए।
कोर्ट ने बियानी की संपत्ति की कुर्की का भी निर्देश दिया था। फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस डील के संबंध में उसके द्वारा की गई सभी कार्रवाइयों को रिकॉर्ड करने के लिए भी कहा गया था।
–आईएएनएस
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