बाराबंकी में वैक्स ड्राइव धराशायी, हिचकिचाहट, अफवाह के चलते ग्रामीण नदी में कूदे

बाराबंकी, 24 मई (आईएएनएस)। एक निरंतर अभियान और व्यापक प्रचार के बावजूद, उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जहां कोरोना महामारी अपने पैर पसार रही है, वहां टीके लगाने को लेकर कई लोगों में हिचकिचाहट देखी जा रही है।

बाराबंकी के सिसोदा गांव में जहां निवासियों का एक समूह रविवार को टीकाकरण से बचने के लिए सरयू नदी में कूद गया था, वहां अभी भी निवासी जैब नहीं लेने के अपने फैसले पर अडिग हैं।

स्थानीय किसान शिशुपाल ने कहा, टीका लगवाने के बाद भी लोगों की मौत हुई है। मैं उन लोगों के बारे में जानता हूं जिन्हें टीका लेने के बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। जब मरना ही है तो वैक्सीन क्यों ?

मैट्रिक पास कर चुके शिशुपाल का मानना है कि कोविड का टीका हानिकारक है और ये बात वह दूसरों के बीच भी फैला रहा है।

उसने कहा मुझे यह जानकारी मेरे कई दोस्तों से मिली है जो बड़े शहरों में काम करते हैं। मैं आश्वस्त हूं क्योंकि स्थानीय अधिकारियों ने मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया है। मेरे अपने चाचा, जो दिल्ली में काम करते थे, दोनों टीके लगने के एक महीने बाद मर गए। और क्या मुझे सबूत चाहिए।

एक अन्य निवासी, मोहम्मद अहसान भी टीका लेने को तैयार नहीं था।

उसने कहा कि क्या कोई गारंटी है कि हम वैक्सीन के बाद संक्रमित नहीं होंगे? आसपास के गाँव में कई ऐसे हैं जो वैक्सीन लेने के लिए दौड़ पड़े और फिर संक्रमित हो गए। सरकार टीकाकरण पर जोर क्यों दे रही है। उन्हें टीका उसको देना चाहिए , जो इसे लेना चाहते हैं।

इसके अलावा, गाँव में अफवाहें फैली हैं कि टीका नपुंसकता का कारण बनता है और यह कारण मुख्य रूप से पुरुषों को भगाने के लिए जिम्मेदार है।

रविवार शाम को बाराबंकी जिले के सिसोदा गांव में लोगों के एक समूह ने स्वास्थ्य अधिकारियों की एक टीम को देखकर सरयू नदी में छलांग लगा दी थी।

स्वास्थ्य टीम गांव में स्थानीय निवासियों को कोविड का टीकाकरण कराने गई थी।

रामनगर तहसील के अनुविभागीय दंडाधिकारी राजीव कुमार शुक्ला ने बताया कि गांव के करीब 200 लोग वैक्सीन के डर से गांव से भाग कर सरयू तट पर पहुंच गए। स्वास्थ्य टीम नदी पर पहुंची तो उन लोगों ने नदी में छलांग लगा दी।

शुक्ला ने कहा कि उन्होंने ग्रामीणों को टीकाकरण के महत्व और लाभों के बारे में बताया, और मिथकों को दूर करने की कोशिश की, जिसके बाद गांव में केवल 18 लोगों को जैब मिला।

ग्रामीणों ने कहा कि वे नदी में कूद गए क्योंकि कुछ लोगों ने उन्हें बताया था कि यह कोई टीका नहीं है, बल्कि एक जहरीला इंजेक्शन है।

लोगों को नदी से बाहर निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।

बाराबंकी के जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर तराई में स्थित सिसोदा 1,500 लोगों की आबादी वाला एक गांव है।

नोडल अधिकारी राहुल त्रिपाठी ने कहा कि वे टीकाकरण के लाभों के बारे में स्थानीय लोगों को समझाने और गलतफहमियों को दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड मुक्त गांवों को मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव अभियान के तहत पुरस्कृत करने की घोषणा की है।

–आईएएनएस

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