बिहार : कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र बनेगा टाइगर रिजर्व

 सासाराम, 25 फरवरी (आईएएनएस)| बिहार के रोहतास एवं कैमूर जिला में फैले कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित किया जा सकता है। इसके लिए वन विभाग के अधिकारी भी प्रयास में जुट गए हैं।

 कैमूर के वन प्रमंडल पदाधिकारी विकास अहलावत ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया, “इस क्षेत्र में बाघों का आना-जाना लगा रहता है। हाल ही में कई क्षेत्रों में बाघों के भ्रमण करने के प्रमाण मिले थे। इस साल से कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र को और विकसित करने की योजना बनाई गई है।”

इधर, वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रोहतास जिले के चेनारी के औरैया, भुड़कुड़ा एवं दुर्गावती जलाशय वाले इलाके के पहाड़ी पर बाघ के पदचिन्ह देखे गए हैं। सभी जगहों पर देखे गए पंजे के निशान एक ही तरह के हैं। चेनारी में बाघ को देखा भी गया है। रोहतास वन विभाग द्वारा इस बाघ की ट्रैकिंग भी करवाई गई है।

अधिकारी ने दावा करते हुए कहा कि पिछले वर्ष चार नवंबर को तिलौथू क्षेत्र में पहली बार इस बाघ का मल प्राप्त हुआ था, जिसके बाद बाघ के मल को देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लेबोरेटरी में जांच में भी इसकी पुष्टि की गई है।

कयास लगाए जा रहे हैं कि बाघ झारखंड के टाइगर रिजर्व से पहुंचा हो सकता है।

रोहतास वन प्रमंडल अधिकारी प्रद्युम्न गौरव भी कहते हैं, “तिलौथू क्षेत्र में बाघ आने की पुष्टि के बाद बाघों की ट्रैकिंग की जा रही है। चेनारी वनक्षेत्र में भी बाघ के पदचिन्ह एवं वृक्षों पर भी निशान प्राप्त हुआ है।”

उन्होंने कहा कि कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के जीव-जंतुओं को सुरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है तथा जंगल पर पूरी तरह से निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि जब अन्य वन्यप्राणी आ जाएंगे, तब बाघ भी आ जाएंगे।

एक अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने भी कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र की तारीफ कर चुका है। अगर एनटीसीए द्वारा इस संबंध में प्रस्ताव मांगा जाता है, तो प्रस्ताव भी तत्काल भेज दिया जाएगा। कैमूर पहाड़ी के जंगलों में जानवरों का सर्वेक्षण कर आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कैमूर वन्यप्राणी अश्रयणी क्षेत्र में जीव-जंतु को सुरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सूत्रों का दावा है कि ये आंकड़े एनसीटीए को भेजे जा सकते हैं। स्थानीय लोगों का भी कहना है कि टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित हो जाने के बाद यह क्षेत्र भी टूरिज्म स्पॉट के तौर पर विकसित हो सकेगा।

उल्लेखनीय है कि कैमूर वन्यक्षेत्र का इलाका 1800 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला है। यहां तेंदुआ सहित अन्य जानवर पाए गए हैं। इस वनक्षेत्र की पहुंच छोटानागपुर की पहाड़ी और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाके तक है। इस कारण यह क्षेत्र वन्यप्राणियों के लिए बहुत बड़ा और अनुकूल इलाका माना जाता है।