भारत, रूस ने आतंकवाद के राजनीतिक उपयोग की निंदा की

व्लादिवोस्तोक (रूस), 5 सितम्बर (आईएएनएस)| आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ दोहरे मापदंड तथा आतंकवादी संगठनों का राजनीतिक उपयोग करने की निंदा करने में भारत के साथ रूस भी आ गया है। पाकिस्तान से निकलने वाले ऐसे खतरे का सामना कर रहे भारत के लिए यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बुधवार को वार्ता होने के अगले दिन एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद की उसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में निंदा की और विश्व समुदाय को इसके खिलाफ लड़ाई में एक संयुक्त मोर्चा गठित करने का आवाह्न किया।

बयान में कहा गया, “उन्होंने आतंकवाद रोकने और इसके खिलाफ लड़ाई में सभी कदम उठाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।”

संयुक्त बयान में हालांकि किसी देश का नाम नहीं लिया गया लेकिन आसानी से समझा जा सकता था कि बयान पाकिस्तान पर कहा गया है जो आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरा मापदंड अपनाता रहा है और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी संगठनों का उपयोग भारत को नुकसान पहुंचाने में करता रहा है।

बयान में कहा गया कि मोदी और पुतिन ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी सहयोग के ढांचे के अंतर्गत दोनों देशों में सहयोग बढ़ाने के प्रयासों का आवाह्न किया। दोनों नेताओं ने आतंकवादी उद्देश्यों के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग के खिलाफ जंग और सशक्त करने का आवाह्न किया।

बयान के अनुसार, “दोनों नेता आतंकवाद के खिलाफ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र सम्मेलन (सीसीआईटी) को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का आवाह्न किया।”

भारत ने आतंकवाद के खिलाफ व्यापक लड़ाई के लिए लगभग दो दशक पहले संयुक्त राष्ट्र में सीसीआईटी का प्रस्ताव दिया था, जो अभी भी आम सहमति के लिए वैश्विक संस्था में लंबित है।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र को अगुआ बनाने के लिए भारत समेत कई देश इसे जल्दी पारित कराने के लिए दवाब डाल रहे हैं। भारत ने हाल ही में आतंकवाद के खिलाफ एक वैश्विक सम्मेलन कराने का प्रस्ताव दिया था, जिससे विभिन्न देशों को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा सके।

बयान में कहा गया, “आज कोई देश आतंकवाद की छाया से बचा नहीं है। भारत और रूस को आतंकवाद के खिलाफ अपने प्रयासों में एक होना होगा।”

बयान में कहा गया कि रूस ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी सम्मेलन कराने के प्रस्ताव पर गौर किया है।

भारत और रूस ने संयुक्त राष्ट्र के तीन सम्मेलनों के आधार पर पारस्परिक ड्रग कंट्रॉल व्यवस्था को मजबूती देने की आपसी प्रतिबद्धता दोहराई।

दोनों नेताओं ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में सुरक्षा सहयोग पर दोनों देशों के संवाद स्तर की भी प्रशंसा की।

बयान में कहा गया, “इसका उल्लेख किया गया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र के परिणामों के आधार पर कई अंतर्राष्ट्रीय नियम, कानून, राष्ट्रों के जिम्मेदार व्यवहारों के सिद्धांतों को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2018 में अपनाया और सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटीज) सुरक्षा पर व्यापक चर्चा, जिसमें आपराधिक उद्देश्यों के लिए आईसीटी के उपयोग के खिलाफ चर्चा की गई।”

मोदी और पुतिन ने आईसीटीज के उपयोग के संदर्भ में सुरक्षा के प्रावधान के दृष्टिकोण की समानता की पुष्टि की और इसमें दोनों देशों में द्विपक्षीय अंतर-एजेंसी क्रियांवयन को और मजबूती देने की इच्छा जताई।

दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण को बेहतर बनाने के साथ-साथ आपसी विश्वास और सभी पहलुओं में वैश्विक तथा क्षेत्रीय स्थिरिता बढ़ाने के लिए लगातार काम करने पर जोर दिया।

वे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और रूसी संघ के सुरक्षा परिषद के माध्यम से सुरक्षा मामलों के सभी क्षेत्रों पर गहन संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए।