मक्का मस्जिद धमाका: कौन हैं बरी होने वाले असीमानंद

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद को हैदराबाद स्थित मक्का मस्जिद में धमाके करने की साज़िश रचने के आरोप से बरी कर दिया है। अदालत ने यह फैसला पर्याप्त सबूतों के अभाव में दिया। एनआईए असीमानंद या बाकी आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश नहीं कर पाई। अब इसे एनआईए की असफलता कहें या कुछ और यह सोचने की बात है। इमप्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस यानी आईइडी से किए गए इस धमाके में 9 लोगों की जान गई थी और 50 से ज़्यादा लोग ज़ख़्मी हुए थे। उस दौरान पहली बार इस तरह की गतिविधि में दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों के नाम सामने आए थे। स्वामी असीमानंद ख़ुद को साधु कहते हैं और वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता रह चुके है।

कई हैं नाम

पश्चिम बंगाल के हुगली निवासी असीमानंद का असली नाम नब कुमार सरकार है। उन्होंने वनस्पति विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। असीमानंद को जितेन चटर्जी और ओमकारनाथ नाम से भी जाना जाता है।1977 में असीमानंद संघ से जुड़े, उन्होंने बीरभूम में संघ के बनवासी कल्याण आश्रम के लिए काम करना शुरू किया था। वह क़रीब दो दशक तक मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सक्रिय रहे। मक्का मस्जिद धमाके की जांच के दायरे में आने के अलावा असीमानंद का नाम अजमेर, मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस धमाके में भी अभियुक्त के तौर पर आया था। हालाँकि वह बरी हो गए थे।

वो कबूलनामा

दिल्ली के तीसहज़ारी कोर्ट में 2010 में एक मेट्रोपॉलिटन जज के सामने असीमानंद ने धमाका करने की बात स्वीकार की थी। उन्होंने कहा था कि वो अन्य साथियों के साथ अजमेर शरीफ़, हैदराबाद की मक्का मस्जिद, समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव धमाके में शामिल थे। उन्होंने यहाँ तक कहा था कि यह हिंदुओं पर मुसलमानों के हमले का बदला था। 42 पन्नों के इक़बालिया बयान में असीमानंद ने इस धमाके में संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार, संघ के प्रचारक सुनील जोशी और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम लिया था। मालूम हो कि  सुनील जोशी की 29 दिसंबर, 2007 में मध्य प्रदेश के देवास में गोली मार हत्या कर दी गई थी।

अब केवल समझौता एक्सप्रेस

अपने गुनाह कबूलने के दौरान असीमानंद ने कहा था कि उन्होंने हैदराबाद की मक्का मस्जिद को इसलिए चुना था क्योंकि वहां के निज़ाम पाकिस्तान के साथ जाना चाहते थे। हालांकि बाद में उन्होंने एनआईए की अदालत में कहा कि उन्हें प्रताड़ित किया गया था इसलिए डरकर उन्होंने ऐसा बयान दिया था। दो केसों में बरी हो जाने के बाद असीमानंद अब केवल समझौता एक्सप्रेस धमाके में ही अभियुक्त हैं। समझौता एक्सप्रेस के दो कोचों में 19 फ़रवरी, 2007 को धमाका हुआ था,जिसमें 68 लोग मारे गए थे।