मधुमक्खी पालकों/शहद संग्राहकों के ये पांच एफपीओ मध्यप्रदेश के मुरैना, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन, बिहार के पूर्वी चंपारण, राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में नाफेड के सहयोग से बने हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 10,000 नए कृषक उत्पादक संगठन बनने से छोटे व मध्यम श्रेणी के किसानों के जीवन में बदलाव आएगा और इनकी आय काफी बढ़ेगी, वहीं मीठी क्रांति से दुनिया में भारत का महत्वपूर्ण स्थान बनेगा।
तोमर ने कहा कि 10,000 एफपीओ बनाने की योजना को सफल बनाने के लिए कृषि मंत्रालय ने तैयारियां पूरी कर ली हैं और आज के इस कार्यक्रम में नाफेड ने अग्रणी भूमिका निभाई है और नाफेड की टीम इस काम को सफलता के सोपान पर पहुंचाएंगी।
तोमर ने कहा कि मधुमक्खी पालन कार्य छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने में बड़ा मददगार साबित हो सकता है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि आने वाले कल में यह मीठी क्रांति न केवल सफल हो, बल्कि इस लक्ष्य तक पहुंचे कि दुनिया में शहद की दृष्टि से भारत अहम स्थान प्राप्त कर सके। इसके लिए 500 करोड़ रुपये का फंड आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पैकेज के रूप में दिया गया है, वहीं अनेक अन्य योजनाओं के माध्यम से भी मधुमक्खी पालकों को निरंतर प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में एफपीओ का यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि शहद में अलग-अलग वेरायटी की मांग बढ़ रही है, अब मीठी क्रांति की शुरुआत हो गई है। कार्यक्रम में कृषि मंत्रालय के सचिव सुधांशु पांडेय, नाफेड के एमडी संजीव कुमार चड्ढा के साथ-साथ अन्य अधिकारी-कर्मचारी व मधुमक्खी पालक भी शामिल हुए।
–आईएएनएस
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