मप्र : सरकारी व्यवस्था में जनता का भरोसा जगाने की कोशिश

 भोपाल, 23 जून (आईएएनएस)| सरकारी व्यवस्था में आम जन का भरोसा जगाने की कोशिश मध्य प्रदेश में प्रशासनिक और सरकारी स्तर पर शुरू की गई है।

  एक आईएएस अधिकारी ने जहां अपनी बेटी को निजी स्कूल के बजाय आंगनवाड़ी केंद्र भेजा है, तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री कमलनाथ निजी अस्पताल के बजाय सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे। इसे बदलाव की पहली बयार के तौर पर देखा जा रहा है।

समाज के जिम्मेदार लोगों में सरकारी व्यवस्था के प्रति बढ़े अविश्वास का ही कारण रहा कि निजी संस्थानों की फसल तेजी से फली-फूली। इसकी गवाही निजी विद्यालय और अस्पताल दे रहे हैं। दूसरी ओर सरकारी विद्यालय और अस्पताल गरीबों के हिस्से में आए। गरीब का बच्चा ही इन स्कूलों में पढ़ने जाता है, और इसी वर्ग के लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पहुंचते हैं।

कटनी जिले के कलेक्टर, पंकज जैन ने अपनी बेटी को आंगनवाड़ी केंद्र में पढ़ने भेजा है। जैन की पत्नी भी आईएएस अधिकारी हैं और भोपाल में पदस्थ हैं। उनकी बेटी भोपाल में एक आंगनवाड़ी केंद्र में पढ़ने जाती है। इस कदम के पीछे जैन की मंशा इन संस्थाओं की स्थिति को जानना और उनमें सुधार लाने का है।

पंकज जैन की बेटी के आंगनवाड़ी केंद्र जाने की चर्चा हर तरफ है और उन्हें सराहना भी मिल रही है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी उनकी सराहना की है।

राज्यपाल ने जैन को पत्र लिखकर कहा है, “लोकसेवक समाज के लिए प्रेरणा होते हैं। समाज उनके आचरण का पालन करता है। आपके प्रयासों से सरकारी सेवकों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी संचालन के लिए सकारात्मक चेतना का संचार किया जाएगा। उम्मीद है, आप एक लोकसेवक के रूप में अपनी निष्ठा और समर्पण जारी रखेंगे।”

राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में राजधानी के शासकीय हमीदिया अस्पताल में जाकर अपनी अनामिका उंगली का ऑपरेशन कराया। कमलनाथ चाहते तो सरकारी और निजी क्षमताओं के आधार पर देश-दुनिया के किसी भी अस्पताल में जाकर इलाज करा सकते थे। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनकी इस पहल की हर तरफ चर्चा है। कमलनाथ सरकारी अस्पताल में पूरे दिन रहे, उनकी उंगली का सफल ऑपरेशन हुआ। रात को अस्पताल से छुट्टी पाकर घर चले गए।

राज्य में संभवत: पहला ऐसा मौका था, जब किसी मुख्यमंत्री ने सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन कराया। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2011 में संक्रमण और रक्तचाप की जांच कराई थी। फिलहाल कमलनाथ के अलावा किसी अन्य मुख्यमंत्री का ऐसा कोई उदाहरण उपलब्ध नहीं है। कभी-कभी मंत्री रस्मी तौर पर अस्पताल जरूर पहुंच जाते हैं।

राज्य विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की पहल को साहसिक करार दिया और कहा, “मुख्यमंत्री ने सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन कराकर आम नागरिक, अस्पताल के चिकित्सकों और कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाया है। यह एक सराहनीय पहल है।”

वहीं दूसरी ओर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा, “हमीदिया में अपना इलाज कराने का आपका फैसला प्रशंसनीय और स्वागतयोग्य है। साथ ही मैं चाहता हूं कि जो सुविधा आपको वहां मिले, वही आमजन को भी मिले। उन्हें इधर-उधर भटकना न पड़े।”

सामाजिक कार्यकर्ता मनोज बाबू चौबे का कहना है, “एक जिलाधिकारी का बेटी को आंगनवाड़ी भेजना और मुख्यमंत्री कमलनाथ का सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन कराना भले ही सांकेतिक हो, मगर इसके मायने बड़े हैं। इस तरह की कोशिशें सरकारी व्यवस्था के प्रति लोगों का भरोसा जगाने में मददगार साबित होंगी। कमलनाथ ने जो पहल की है, उसे आगे जारी रखने की जिम्मेदारी सरकार के मंत्रियों व विधायकों की है। सभी सरकारी सुविधाओं का उपयोग करें, जिससे जनता में सरकारी व्यवस्था के प्रति भरोसा जागे।”