महाराष्ट्र में नजर आने लगा भारत बंद का असर

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ वे समीक्षा याचिका दायर करेंगी।

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में सुबह से शांत चल रहे दलितों के भारत बंद का असर महाराष्ट्र में भी नजर आने लगा है। विदर्भ के नंदुरबार जिले में दलित संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस पर पथराव कर दिया और उसके कांच तोड़ डाले। हंगामा बढ़ता देख पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा है। इसके अलावा मुंबई समेत राज्य के अन्य हिस्सों से हिंसा की कोई खबर सामने नहीं है। इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ वे समीक्षा याचिका दायर करेंगी।

मुंबई में देर से खुली दुकाने

दलित संगठन के बंद के आवाहन के बाद मुंबई में कई जगहों पर लोगों ने सुबह देर से अपनी दुकाने और प्रतिष्ठान खोले। बंद के ऐलान को देखते हुए मुंबई पुलिस ने सभी बड़े सरकारी ऑफिसों के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया है।

महाराष्ट्र सरकार दायर करेगी समीक्षा याचिका

महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि वह सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर कर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कथित उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तारी और मामला दर्ज करने पर रोक लगाने वाले आदेश को चुनौती देगी। सरकार का कहना है कि ऐसा उसने दलितों द्वारा पूरे देश में बंद के आयोजन को देखते हुए किया है।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश को देखते हुए दलित और अन्य पिछड़ी जातियां अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

महाराष्ट्र में बंद को इन पार्टियों का सपोर्ट

इस बंद में प्रकाश आंबेडकर के भारिप बहुजन महासंघ, पीजेंट्स ऐंड वर्कर पार्टी, जनता दल, और कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि शामिल थे। साथ ही सीटू अर्थात सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस के लोग भी थे। इनके अलावा, राष्ट्रीय सेवा दल, जाति अंत संघर्ष समिति, संविधान संवर्धन समिति, नैशनल दलित मूवमेंट फॉर जस्टिस आदि भी शामिल हुए थे।

केंद्र सरकार भी दायर कर रही है समीक्षा याचिका

उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद केंद्र सरकार ने भी इसी मामले में समीक्षा याचिका दायर करने का ऐलान किया है। महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि अगले कुछ दिनों में महाराष्ट्र के अटार्नी जनरल इस विषय पर अपना पक्ष उच्चतम न्यायालय में रखेंगे।