महाराष्ट्र विधानपरिषद मानदंड संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट: हम यहां राज्यपाल को सलाह देने के लिए नहीं

नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐसी जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें मांग की गई थी कि महाराष्ट्र विधान परिषद में नामांकन के लिए मानदंड तैयार के संबंध में राज्यपाल को विशिष्ट निर्देश जारी किया जाए।

मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधे हैं। हम यहां राज्यपाल को सलाह देने के लिए नहीं हैं।

पीठ में मौजूद जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और हृषिकेश रॉय ने लातूर के एक प्रधानाध्यापक, डॉ जगन्नाथ शामराव पाटिल के इस तर्क को खारिज कर दिया कि विशिष्ट मानदंडों या मानदंडों की कमी के कारण, कई पात्र और योग्य व्यक्तित्व महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्यों के रूप में उनके नामांकन से वंचित रह जाते हैं।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राज्यपाल के पास निर्दिष्ट क्षेत्रों के लोगों को चुनने का विवेक होना चाहिए ताकि सत्ता में पार्टी इसके लिए सिफारिश करने से बच सके। पीठ ने कहा, आप जो चाहते हैं उसके लिए एक अलग प्रावधान है, आप चाहते हैं कि हम संविधान में संशोधन करें?

मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद, पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

दलील में तर्क दिया गया कि शीर्ष अदालत को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार को नामांकन की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्देश देना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि इससे राजनीतिक कारणों से नामांकन की प्रथा से बचा जा सकेगा।

–आईएएनएस

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