माइकल जैक्सन की बेगुनाही का दावा करने वाले पोस्टर लंदन की बसों पर

 लंदन, 9 मार्च (आईएएनएस)| ब्रिटेन में इस सप्ताह डॉक्युमेंट्री ‘लीविंग नेवरलैंड’ प्रसारित होने के बाद दिवंगत पॉप स्टार माइकल जैक्सन पर लगे यौन दुर्व्यवहार के आरोपों के मामले में उनकी बेगुनाही के दावे करने वाले पोस्टर लंदन की बसों पर लगे हुए हैं।

 सीएनएन के मुताबिक, डैन रीड निर्देशित चार घंटे की अवधि वाले डॉक्युमेंट्री को ब्रिटेन में थोड़े छोटे प्रारूप में प्रसारित किया गया। इसमें 36 वर्षीय वेड रॉबसन और 41 वर्षीय जेम्स सेफचक ने आरोपों लगाया कि वे जब बच्चे थे चब जैक्सन ने उनके साथ छेड़छाड़, यौन दुर्व्यवहार किया था।

अपने देश आस्ट्रेलिया में एक नृत्य कॉन्सर्ट जीतने के बाद पांच साल की उम्र में रॉबसन की मुलाकात जैक्सन से हुई थी जबकि सेफचक आठ साल के थे जब वह 1986 में पेप्सी के एक विज्ञापन में जैक्सन के साथ नजर आए थे।

लंदन की बसों पर लगे पोस्टर के एक वर्जन पर जैक्सन के चेहरे वाली श्वेत-श्याम तस्वीर है। उनके मुंह पर लिखा है ‘इनोसेंट’ (बेगुनाह) और पोस्टर में लिखा है “तथ्य झूठ नहीं बोलते। लोग बोलते हैं।”

एक अन्य पोस्टर पर लिखा है, “हैशटैगएमजेइनोसेंट।”

दोनों वर्जन में दर्शकों को ‘एमजेइनोसेंटडॉटकॉम’ वेबसाइट पर जाने के निर्देश दिए हैं जो पॉप स्टार की बेगुनाही से जुड़े सबूतों को दर्शाता है।

अभियान के आयोजकों में से एक वकील अनिका कोटेचा ने सीएनएन को बताया कि इन पोस्टरों का लगाया जाना ब्रिटेन स्थित एक छोटी सी टीम का काम है।

उन्होंने कहा, “हम लंबे अरसे से जानते हैं कि ये आरोप झूठ के अलावा और कुछ नहीं हैं और हम उस संदेश को आम जनता तक पहुंचाना चाहते थे।”

कोटेचा और अन्य आयोजकों ने विज्ञापनों को लगाने के लिए एक एजेंसी की मदद ली। हालांकि, उन्होंने सीएनएन को बताया कि उन लोगों ने इस प्रक्रिया में लंदन के सरकारी निकाय परिवहन के साथ संपर्क किया था।

वकील ने कहा कि अप्रैल में कुल 60 बसों पर विज्ञापन प्रदर्शित किए जाएंगे।

इससे पहले एमजेइनोसेंट अभियान ने टी-शर्ट को जारी किया, जिसमें बस पोस्टरों के समान छवियां थीं।

‘लीडिंग नेवरलैंड’ के ब्रिटेन में प्रसारण के पहले जैक्सन के समर्थकों ने ब्रिटिश टेलीविजन नेटवर्क चैनल 4 के मुख्यालय के बाहर विरोध किया, जिसने डॉक्युमेंट्री को प्रसारित किया।

जनवरी में सनडांस समारोह में फिल्म के प्रदर्शित होने के बाद जैक्सन के परिवार ने इसे ‘पब्लिक लिंचिंग’ कहा था और एचबीओ के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया जिसने डॉक्युमेंट्री का सह-निर्माण किया।