म्यांमार के हालात कलादान प्रोजेक्ट पूरा करने में बाधक नहीं

जोरिनपुई (मिजोरम), 24 मार्च (आईएएनएस)। भारत ने अपनी महत्वाकांक्षी सड़क अवसंरचना परियोजना – कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट पर काम तेज कर दिया है, जो पड़ोसी क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के प्रयास में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के लिए एक प्रवेशद्वार खोलता है।

म्यांमार को भारत के पूर्वोत्तर से जोड़ने वाली परियोजना लंबे समय से अटकी पड़ी है। ऐसा दो बार हुआ, जब इसका काम निर्धारित अवधि में पूरा नहीं हो पाया। इस कारण 2008 में परियोजना की लागत 536 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014 में 3,200 करोड़ रुपये हो गई।

भारत सरकार ने अब यह परियोजना शुरू कर दी है और 2023 तक इसके पूरा हो जाने की उम्मीद कर रही है, क्योंकि म्यांमार-आधारित विद्रोही समूह अरकान सेना से खतरा बना हुआ है। इस समूह के तार चीन से भी जुड़े हैं। साथ ही म्यांमार में तख्तापलट भी हो गया है।

यह परियोजना भारत में मिजोरम के दूरदराज के क्षेत्रों और म्यांमार के चिन राज्य में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देगी। यह बढ़ते चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए देश के लिए एक रणनीतिक संपत्ति होगी।

यह परियोजना भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का हिस्सा है। यह म्यांमार-थाईलैंड के माध्यम से और पूर्व की ओर एक छोटा मार्ग प्रदान करके भारत को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ जोड़ता है।

यह भारतीय परिप्रेक्ष्य से एक रणनीतिक परियोजना है जो उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है, जो कोलकाता से असम की दूरी को लगभग 50 प्रतिशत कम करती है। इस मार्ग से कोलकाता से मिजोरम की दूरी भी कम हो जाएगी और यात्रा समय कम से कम चार दिन कम हो जाएगा।

यह रणनीतिक परियोजना पश्चिम बंगाल के हल्दिया बंदरगाह को म्यांमार के राखाइन राज्य की सितवे बंदरगाह से जोड़ेगी। यह चिन राज्य में पालदवा के साथ सितवे समुद्री बंदरगाह को कलादान नदी मार्ग से भी जोड़ेगा, और फिर सड़क मार्ग से पालेटवा से मिजोरम के लावंग्टलाई तक जाएगा।

सितवे से कोलकाता का समुद्री मार्ग 539 किलोमीटर है। कलादान नदी पर सितवे से पलेतवा तक जलमार्ग 150 किलोमीटर है। भारत में म्यांमार के पलेतवा से जोरिनपुई तक सड़क मार्ग 110 किलोमीटर है और मिजोरम में जोरिनपुई से लावंग्टलाई तक 87.81 किलोमीटर है।

परियोजना में समुद्री मार्ग, जलमार्ग और रोडवेज जैसे घटक हैं। समुद्री मार्ग और नदी मार्ग को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है और अब दोनों देश सड़क मार्ग को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

सितवे में समुद्री बंदरगाह चालू है, पलेतवा नदी बंदरगाह पर जलमार्ग का काम 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है। पलेतवा नदी बंदरगाह का निर्माण कार्य पूरा हो गया है।

यह मुख्य रूप से म्यांमार की ओर सड़क निर्माण कार्य है, जिसके कारण देरी हुई है।

इस परियोजना को भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा संचालित और वित्तपोषित किया जा रहा है। 2003 में पहली बार इस योजना की कल्पना की गई थी, 2008 में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे और 2010 में काम शुरू किया गया था। तब से यह परियोजना दो बार 2015 और 2021 की समय सीमा से चूक गई थी, लेकिन अब सभी की नजरें 2023 पर टिकी हैं।

–आईएएनएस

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