जेन साकी ने गुरुवार को कहा, राष्ट्रपति सिर्फ भारतीय-अमेरिकियों के विज्ञान के क्षेत्र में दिए गए अविश्वसनीय योगदान को स्वीकृति और सम्मान दे रहे थे।
प्रेस ब्रीफिंग में एक पत्रकार द्वारा इस बयान को लेकर की जा रही आलोचना के बारे में सवाल पूछे जाने पर साकी ने कहा, यह उनके उस विश्वास का एक प्रतिबिंब था कि भारतीय-अमेरिकियों ने अमेरिकी समाज के निर्माण में महान योगदान दिया है, फिर चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो शिक्षा का हो या सरकार में हो।
दरअसल, नासा की इंजीनियर और मंगल पर रोवर पर्सिवरेंस की लैंडिंग को गाइड कराने वाली स्वाति मोहन से एक वर्चुअल मीटिंग में बाइडेन ने कहा था कि यह आश्चर्यजनक है कि अमेरिकी में भारतीय मूल के लोग छाए हुए हैं। मेरी उप-राष्ट्रपति, मेरे भाषणों के लेखक, ये सब भारतीय-अमेरिकी हैं। मैं आप सबको धन्यवाद देना चाहता हूं, आप लोग अतुलनीय हैं।
जहां बाइडेन के इस बयान को भारत की प्रशंसा के रूप में लिया गया, वहीं अमेरिका में रह रहे कुछ भारतीयों को लगता है कि इसके बाद उन्हें अमेरिकियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, यहूदियों के बारे में अच्छे इरादे से दिए गए बयान भी यहूदियों के विरोध में गए और इसके कारण पूरे यूरोप में उन पर हमले भी हुए। यहां तक कि अमेरिका में भी यहूदियों पर हमले हुए।
बाइडेन के इस बयान की आलोचना करते हुए दक्षिणपंथी प्रकाशन रेडस्टेट ने कहा है कि यदि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा बयान दिया होता तो उन्हें नस्लवादी कहा जाता। रेडस्टेट ने आगे कहा, मुझे एक समझदार व्यक्ति दिखाइए जो यह मानता हो कि भारतीय-अमेरिकियों का एक अज्ञात समूह तुरंत संघीय सरकार का नियंत्रण संभालने जा रहा है। इस पर तो विश्वास करना भी बेवकूफी है कि अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी बहुमत में हैं।
–आईएएनएस
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