यूएस में नौकरी आउटसोर्स करने के विरोध में बिल पेश, भारतीय कॉल सेंटर कर्मियों पर खतरा

वॉशिंगटन/नई दिल्ली :अमेरिकी संसद में ऐसा विधेयक पेश किया गया है जो पारित होता है तो भारत जैसे देशों में कॉल सेंटर में काम करने वालों की नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है। इसके मुताबिक कॉल सेंटर कर्मियों को अमेरिकी कस्टमर को अपनी लोकेशन बतानी होगी। साथ ही ग्राहक चाहे तो उसकी कॉल अमेरिका स्थित सर्विस एजेंट को ट्रांसफर करनी होगी। यह नया विधेयक अमेरिका के ओहियो प्रांत के सीनेटर शेरड ब्राउन ने संसद में पेश किया। इसमें यह भी प्रावधान है कि कॉल सेंटर जॉब्स को आउटसोर्स करने वाली कंपनियों की लिस्ट सार्वजनिक की जाएगी। इसके मुताबिक जो कंपनियां जॉब्स आउटसोर्स नहीं करती हैं उन्हें फेडरल कॉन्ट्रैक्ट्स में तरजीह दी जाएगी।

बिल पास होने से क्या होगा?
– इस बिल के पारित होने से अमेरिकी कॉल सेंटर की नौकरियों में सुरक्षा बढ़ेगी। साथ ही उपभोक्ताओं को अमेरिका में स्थित कॉल सेंटर से बात करने के लिए अमेरिकी समय का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

– विधेयक के संसद में आने के बाद आईटी कंपनियों के स्टॉक में करीब 1-3% की गिरावट दर्ज की गई। टेक महिंद्रा, इन्फोसिस, विप्रो जैसी कंपनियों पर इसका असर दिखाई दिया।

कॉल सेंटर कंपनियों के अमेरिका छोड़कर जाने पर जताई चिंता
सीनेटर ब्राउन ने कहा कि बहुत सारी कंपनियों ने अमेरिका से कॉल सेंटर बंद कर भारत और मैक्सिको जैसे देशों में खोल लिए हैं। अमेरिकी ट्रेड और टैक्स नीति ने कॉरपोरेट बिजनेस मॉडल को बढ़ावा दिया है। इससे कंपनियां अमेरिका के बजाय विदेश से कॉल सेंटर की नौकरियां आउटसोर्स कर रही हैं। इससे अमेरिकियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। जरूरत है कि हम अपने कर्मचारियों को अहमियत दें।

भारत-फिलीपींस पसंदीदा जगह
एक स्टडी के मुताबिक, अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत और फिलीपींस कॉल सेंटर जॉब्स आउटसोर्स के लिए पसंदीदा जगह हैं। अमेरिकी कंपनियां मिस्र, सऊदी अरब, चीन और मैक्सिको में भी सेंटर खोल रही हैं।

अमेरिका का बड़ा योगदान
नैसकाॅम के मुताबिक भारत की बिजनेस प्रोसेसिंग इंडस्ट्री सालाना 1.82 लाख करोड़ की है। इसमें अमेरिका से होने वाली कमाई का बड़ा योगदान है। आर्थिक तरक्की में भी कॉल सेंटर इंडस्ट्री की बड़ी भूमिका है।

जीडीपी में 8% हिस्सा
– 3.5 लाख लोग भारत में कॉल सेंटरों में काम कर रहे हैं।
– 10% के बराबर है कुल बैक ऑफिस वर्कफोर्स में इनकी हिस्सेदारी।

– 31 लाख लोग काम कर रहे हैं देश के बैक ऑफिस सेक्टर में।
– 8% की हिस्सेदारी है इस सेक्टर की भारत के जीडीपी में।