राजस्थान विधानसभा में सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित

जयपुर, 25 जनवरी (आईएएनएस)| राजस्थान विधानसभा ने शनिवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। इस दौरान विपक्षी दल भाजपा ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के इस कदम का जोरदार विरोध किया। जैसे ही राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया, भाजपा विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान कुछ विधायक आक्रामक होकर सदन के वेल में पहुंच गए और प्रस्ताव पर अपना विरोध जताने लगे।

सदन में इस पर खूब बहस भी हुई।

अब तक केरल और पंजाब दो राज्य हैं, जिन्होंने नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं। लेकिन इन राज्यों ने एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं किए हैं।

सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रस्ताव में कहा गया है कि सीएए संविधान की मूल प्रकृति की धज्जियां उड़ाने वाला कानून है और लोगों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि एनपीआर और एनआरसी का सीएए से संबंध है और इनका एक ही आधार है।

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि सीएए के तहत हाल ही में पेश किए गए संशोधन धार्मिक आधार पर लोगों को विभाजित करते हैं और भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से एक विशेष समुदाय को वंचित भी करते हैं।

इसमें कहा गया है कि एनपीआर के तहत मांगी जाने वाली अतिरिक्त जानकारी से कई लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ेगा। असम इसका जीता जागता उदाहरण है।

इसमें केंद्र से सीएए में संशोधन और एनपीआर पर संदेह स्पष्ट करने की मांग भी की।

प्रस्ताव में कहा गया है कि आजादी के बाद देश के इतिहास में पहली बार ऐसा कानून लाया गया है, जो धर्म के आधार पर लोगों को अलग करता है। यह देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डाल देगा।

इसमें कहा गया है कि श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल और भूटान जैसे अन्य पड़ोसी देशों के प्रवासियों के बारे में सीएए में कोई प्रावधान नहीं किया गया है, जो कई सवाल खड़े करता है।